पहाड़ और मेरा जीवन – 47 (पिछली क़िस्त: और मैं बन गया एनसीसी गणतंत्र दिवस कैंप में ऑल इंडिया कमांडर ) पिछले दिनों बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए छोड़ने अमेरिका गया. एक समय था जब अमेरिका जाने की... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 46 (पिछली क़िस्त: मुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसात) एनसीसी से अपने संबंध के बारे में मैं बता ही चुका हूं. मैंने एनसीसी के कुल सात कैंप अटैंड किए. तीन... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन -45 पिछली क़िस्त : बद्रीदत्त कसनियाल- जिनके सान्निध्य में कब पत्रकार बना, पता ही न चला पिछली क़िस्त में आपने मेरे हल चलाने और गांव का जीवन जीने के बारे में पढ़ा. इस बार मै... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन -44 पिछली क़िस्त : पहाड़ों में पैदल चलने के बिना जिंदगी का जायका ही क्या जो लोग पिथौरागढ़ से जुड़े हैं और जिनकी पत्रकारिता में थोड़ी बहुत दिलचस्पी है, वे बद्रीदत्त कसनियाल... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन -43 पिछली क़िस्त : हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की रोटी मक्खन, नून के साथ खाना मेरे पिताजी ने पिथौरागढ़ के मिशन इंटर कॉलेज से दसवीं पास की थी और उसके त... Read more
हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की रोटी मक्खन, नून के साथ खाना
पहाड़ और मेरा जीवन – 42 पिछली कड़ी: एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई हम सबकी जड़ें गांवों में हैं, लेकिन सबने वहां का जीवन नहीं देखा. मैं अपने गांव के बहुत करीब रहा, ल... Read more
एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई
पहाड़ और मेरा जीवन – 41 पिछली कड़ी: आपकी एक छोटी-सी पहल कैसे आपका मुकद्दर संवार सकती है आज कुछ लोग इस बात पर शायद यकीन न करें, पर सच यही है कि मैं कक्षा नौ से लेकर बारहवीं करने तक अपनी मां स... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 40 पिछली कड़ी: भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया जैसा कि अब तक आप लोगों को मालूम चल ही चुका होगा कि बचपन से ही मैं खेलों का ब... Read more
भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया
पहाड़ और मेरा जीवन – 39 (पिछली कड़ी: जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई) जीआईसी पिथौरागढ़ में कक्षा नौ में पढ़ना शुरू हुआ, तो यह बहुत धीरे-धीरे था कि... Read more
जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई
पहाड़ और मेरा जीवन – 38 (पिछली कड़ी: एक शराबी की लाश पर महिलाओं के विलाप ने लिखवाई मुझसे पहली कविता ) आठवीं से नवीं में आने के सफर के दौरान मुझे खुद में दो बदलाव साफ दिखाई दिए- पहला तो मैं छ... Read more
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