पहाड़ और मेरा जीवन – 66 (पिछली क़िस्त: वो शेर ओ शायरी, वो कविता और वो बाबा नागार्जुन का शहर में आना एक बहुत ही लंबा बेवकूफी भरा और ईगो से संचालित जीवन जी लेने के बाद अब जाकर मैं हर तरह के नश... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 48 (पिछली क़िस्त: पुराने दोस्त पुरानी शराब से ज्यादा जायकेदार होते हैं) पुरानी चीजें सहेजकर रखना मुझे मुश्किल काम लगता है क्योंकि अव्वल तो पुरानी चीजें खुद ही खराब हो जा... Read more
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