उत्तिष्ठ अर्थात् उठो, न कि उठाओ क्षीण कटि, क्षीण स्वभाव. वैसे उनकी संपूर्ण ही काया क्षीण थी. सुतवाँ शरीर.साहस और उत्साह में भरे-पूरे. लगभग दुस्साहसी. शर्त बदने को हमेशा तैयार. दाँव खेलने के... Read more
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