बूढ़े हो चुके अपने जिंदा शरीर के लगभग साठेक किलो वजन को साथ लिए वो हर पल कहीं न कहीं धरती के सीने में चारेक दशक से चौड़ीदार वृक्षों को रोपने में लगे रहते हैं. इसके साथ ही सूख रहे नौलों, धारो... Read more
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