ज़रा सोचिए, गुरुदत्त और पंडित रविशंकर टहलने निकले हों और उन्हें सामने से आते सुमित्रानंदन पंत नजर आ जाएँ जो शाम की रिहर्सल के लिए गीत लिखकर लाए है. खुले मंच पर ज़ोहरा सहगल और उनकी फ्रेंच डां... Read more
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