जिस राष्ट्र में यह कहा जाता हो कि “तीन कोस पर पानी बदले, नौ कोस पर बोली”, जहाँ हर प्रकार की मिट्टी, विभिन्न जलवायु, सभी धर्मों के लोग पाये जाते हो, वहाँ यह समझने में थोड़ी कठिनाई होती है कि... Read more
ठेठ गढ़वाल के जीवन से जुड़ी चीज़ों को समझने के लिए एक तरह का रोचक शब्दकोश है ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’
Posted By: Kafal Treeon:
बचपन में नए साल के ग्रीटिंग कार्ड बनाने के दौरान एक युक्ति सीखी थी. रंग में डुबाया हुआ धागा लेकर (रंग के नाम पर अमूमन हमारे पास स्याही ही होती) सादे कागज़ पर हौले से अगड़म-बगड़म आकार में रख... Read more
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