हैं बिखरे रंग माज़ी के -अमित श्रीवास्तव उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था! विपुल ने भी लगभग चार साल बाद ही फोन किया था. पहली कुछ लाइनों में तकल्लुफ़... Read more
2024©Kafal Tree. All rights reserved. Developed by Kafal Tree Foundation