उत्तराखण्ड में सिक्कों की छपाई का इतिहास
उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल का श्रीनगर शहर मध्यकाल से ही सिक्कों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा था. उस समय इन सिक्कों को ‘टिमाशास’ कहा जाता था. जब-जब नेपाल या लद्दाख़ के रास्ते तिब्बत के साथ ह... Read more
पहाड़ में राजस्व के साथ पुलिस भी संभाले पटवारी
गों घर हो या पट्टी, अंग्रेज की शकल किसने देखी? पर पटवारी वो तो साक्षात् राजसेब हुआ.जरा उसकी आँख में बाल पड़ा कि पुरखों के सहेजे खेत पात कागजात खसरा खतौनी पर काली अमिट सियाही का दाग पड़ते देर... Read more
1780 का साल रहा होगा. गढ़वाल और कुमाऊं दोनों जगह राजगद्दी को लेकर आंतरिक संघर्ष जारी था. कुमाऊं में ललितशाह अपनी दुसरी पत्नी के बड़े बेटे प्रदुम्नशाह को शासक नियुक्त कर चुके थे. ललितशाह की म... Read more
माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड के मध्यकालीन इतिहास के वीर योद्धा हैं. माधो सिंह भण्डारी के शौर्य व पराक्रम के किस्से आज भी कहे-सुने जाते हैं. माधो सिंह भण्डारी का जन्म सत्रहवीं शताब्दी के अंत... Read more
पहले हल्द्वानी के खेतों, बगीचों में जंगली जानवर घूमा करते थे, अब अलग-अलग नस्ल के कुत्ते भौंका करते हैं
आज स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है पूरा हल्द्वानी और उसके आसपास के मीलों तक फैले गांव फतेहपुर, लामाचौड़, लालकुआं और रामपुर रोड के गांव सब कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित हो गए हैं. एक गली, दूसरी,... Read more
बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर में पुराने चर्च में विलियम बटलर का नाम आज भी अंकित है ईसाई नगर हेनरी रैमजे के समय में ब... Read more
अपने अंतिम दिनों में शैलेश मटियानी
लेखककीय अस्मिता और स्वाभिमान के मूल्य पर कभी समझौता ना करने वाले शैलेश मटियानी पहले अल्मोड़ा में दिखाई देते थे. वे अल्मोड़ा में एक विवादित व्यक्ति के रूप में भी चर्चित थे. उनके उपन्यासों में... Read more
जब नैनीताल की बहुमूल्य विरासत जलकर खाक हो गयी
1962 में डॉक्टर हेमचंद्र जोशी जाड़ों में नैनीताल से हल्द्वानी रहने आया करते थे और कालाढूंगी रोड स्थित पीतांबर पंत के मकान में टिका करते थे. वे बहुत वृद्ध हो गए थे और उनकी आंखें बहुत कमजोर हो... Read more
हल्द्वानी के ‘न्यू लक्ष्मी सिनेमा’ में पहली फिल्म दिखाई गई थी कश्मीर की कली
नगर से महानगर हो चुके हल्द्वानी ने अपने आसपास के गांवों को भी अपने में सम्मिलित कर लिया है. मुखानी क्षेत्र में पर्वतीय रामलीला कुछ दिनों तक आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी जो अब बंद हो चुकी है.... Read more
धुआंधार कुमाऊनी बोलने वाले पहाड़ी सरदार
सरदार जगत सिंह के बड़े भाई दिलबर सिंह उनसे 10 साल बड़े थे. पिताजी के व्यवसाय में हाथ बताने के अलावा वह शेरो-शायरी व गीत-गजल के शौकीन भी थे. इनकी खूबियों से हल्द्वानी ही नहीं दूर-दूर के लोग प... Read more
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