औपनिवेशिक मूल्यों की तलछट पर बिछा एक लाचार समाज भारत को आज़ादी तो 1947 में मिल चुकी थी; मगर आज लगता है, आम आदमी तक पहुँचने में उसे पूरे सात दशक लग गए – 1950 से लेकर 2020 तक. दो-चार साल इधर य... Read more
‘गहन है यह अन्धकारा’ में दूर कहीं उजास दिखता है
Posted By: Kafal Treeon:
पुलिस के पास ढेरों कहानियां होती हैं. हर तबके की, हर तरह की. कहानी बनाना भी आ जाता है और वक्त-जरूरत पर मैदानी सड़क को पहाड़ी-मोड़ देना भी. एक कमी रह जाती है कि अपनी रामकहानी नहीं सुना पाते क... Read more
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