जैसे-जैसे आप पहाड़ चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ढाबों, भोजनालयों, रेस्टोरेंट्स का आकार छोटा होता जाता है. न सिर्फ उनका आकार बल्कि मैन्यू भी पहाड़ चढ़ते हांफ जाता है. दुर्गम क्षेत्रों में तो सब क... Read more
अद्वितीय होता है कुमाऊं-गढ़वाल का झोई भात
वो कढ़ती है, ये झोलती है: पहाड़ की झोली 15 साल की उम्र में पहली बार जब गांव में एक महीने से अधिक रहने का सुयोग प्राप्त हुआ तो बोडी ( ताई के लिए गढ़वाली संबोधन) दोपहर के भोजन में रोज झोली यानी... Read more
पहाड़ी मूले का थेचुवा खाइए जनाब, पेटसफा चूरन नहीं
कल सुबह सब्जी लेने मंडी में पहुंचा तो देखा कि पहाड़ी मूला/ मूली बाजार में आ चुका है. अभी बाजार में नया-नया है तो दाम के मामले में खूब इतरा-इठला रहा है. दुकानदार एक रुपया भी कम करने को त... Read more
झंगोरा: पहाड़ का पारंपरिक व पौष्टिक अनाज
विभिन्न नामों से जाना जाता है झंगोरा उत्तराखण्ड में झंगोरा (Jhangora) नाम से पहचाने जाने वाले अनाज का वानस्पतिक नाम इकनिक्लोवा फ्रूमेन्टेंसी (Echinochloa frumentacea) है. अंग्रेजी में इसे इं... Read more
Popular Posts
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल