लोक कथा : श्राद्ध की बिल्ली
किसी जमाने की बात है. एक गांव में सास-बहू रहा करते थे. जैसा की पहाड़ों के हर घर में होता है कि लोग पालतू जानवर रखा करते हैं. सास-बहू ने भी एक बिल्ली पाल रखी थी. वह बिल्ली हमेशा कभी सास तो कभ... Read more
सालों पहले मध्य हिमालय के जंगल में एक आदमी अपनी 15 बकरियों के साथ जा रहा था. जंगल में बकरियों के साथ जाता हुआ उसे एक भूतनी दे देख लिया. भूतनी ने गांव की एक बूढी औरत का रूप लिया और बकरी वाले... Read more
रड़गाड़ी रागस – जोहार की लोककथा
महीना नवम्बर का था. जोहार घाटी के सभी लोग वापस अपने शीतकालीन घर यानी मुनस्यारी आ चुके थे. व्यापार के उद्देश्य से तिब्बत गए एक व्यापारी को वापस लौटने में विलम्ब हो गया था. वह भेड़-बकरियों के अ... Read more
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