मां नंदादेवी जितना अपनी करुणा और ममता के लिये जानी जाती हैं उतना ही अपने क्रोध के लिये भी विख्यात हैं. मां नंदा के क्रोध को लेकर कुमाऊं गढ़वाल अंचल में अनेक किवदंती लोकप्रिय हैं. बागेश्वर में... Read more
सरयू आज भी सिसकती है – कुसुमा की त्रासद लोककथा
सुसाट मन को कपोरता है. लग जाता है एक उदेख जिसके अंदर कुहरा जाती है बाली कुसुमा की ओसिल कहानी. सरयू आज भी सिसकती है. इतना तो समय बीत गया. विदित नहीं अब देवराम और सरूली दीदी जीवित होंगे भी कि... Read more
कद्दू और मुटल्ली बुढ़िया की कथा
एक बुढ़िया अपने बेटे बहू के साथ एक अकेले घर में रहती थी. वे दोनों उसके साथ बुरा बर्ताव करते और बहुत दुख करते. बुढ़िया अपने दुख की कथा अपने अंदर दबाये रखती जिससे वह दिन दिन मोटी होती गयी. अब तो... Read more
अभिनय, स्वांग और रोमांच का उत्सव ‘हिल-जात्रा’
पिथौरागढ़ में बुधवार को ‘हिल-जात्रा’ मनाई गई. यह एक ख़ास आयोजन है जो कि सिर्फ़ पिथौरागढ़ में ही मनाया जाता है. आठूँ-सातूँ पर्व के आठ दिन बाद हर साल हिलजात्रा मनाई जाती है जिसमें... Read more
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