संस्मरण -2 यूं तो चिल्किया से दशौली, डौणू, भदीणा का कोई सीधा नाता नहीं था. प्राइमरी की पढ़ाई करने ग्राम डौणू और भदीणा से यहां कोई नहीं जाता था. भदीणा से चिल्किया जाने का कोई सीधा-साधा रास्त... Read more
चनका – पलायन को ठेंगा दिखाता एक मेहनती पहाड़ी
चनका ब्रिटिश भारत के नागरिक जो ठहरे. बिल्कुल 24 कैरेट की पहाड़ी पर्सनालिटी. पीठ में आज से 30 बरस पहले बाजार में मिलने वाला पिट्ठू और एक लाठी हाथ में. हलका शरीर, 5’5’’ का कद और एक फौजी की सी... Read more
ज्ञानका और उनकी बरसी
अपनी उम्र के 84 बसंत पूरा कर पिछले साल आज ही के दिन ज्ञानका (काका) परलोक सिधार गए. ज्ञानका अपने गांव के एक अद्भुत व्यक्ति थे. उनका असली नाम ज्ञान चंद्र पाठक था. वे देखने में थोड़ा ज्यादा ही... Read more
यूं तो कुमाऊँ में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रवेश 8 मई 1815 को कुमाऊँ के कमिश्नर आफ रेवन्यू के रूप में ई.गार्डिनर की नियुक्ति के साथ हो गया था लेकिन कंपनी ने कुमाऊँ-गढ़वाल के नियंत्रण का मुख्याल... Read more
प्रवासी पहाड़ी की “ओ दिगौ लाली”
मैंने कल लगभग सौ सवा सौ कुमाउँनियों को एक मैसेज किया कि सामान्यतः हम ‘ओ दिगौ लाली’ कब बोलते हैं? 90% जो पहली पीढ़ी के पहाड़ से बाहर है जिनका बचपन हिमालय की गोद में बीता है सबने... Read more
आमा के हिस्से का पुरुषार्थ -2 कुमाऊनी में एक मुहावरा बड़ा ही प्रचलित है ‘बुढ़ मर भाग सर’ यानि कि जो बुज़ुर्ग होते हैं वे सभ्यता, सांस्कृतिक परंपराओं के स्तम्भ होते हैं. इन्हीं से अगली पीढ़ी... Read more
वड़ की पीड़ा और आमा के हिस्से का पुरुषार्थ
गांव की प्रचलित कहावत है, वड़ (Division stone) माने झगड़ जड़. जब दो भाइयों के बीच में जमीन का बंटवारा होता है तो खेतों के बीच बंटवारे के बाद विभक्त जमीन में एक पत्थर गाड़ दिया जाता है जिसे व... Read more
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