ऐसा भी कहीं होता है?
पिछली पोस्ट में मैंने भारत के कालजयी लेखक प्रेमचंद के परिवार के साथ रहने के कारण खुद को सौभाग्यशाली व्यक्तियों में माना था. शायद यह मेरा सौभाग्य ही रहा होगा, हालाँकि मुझे नहीं मालूम कि सौभाग... Read more
उत्तराखंड में रजस्वला स्त्रियों का गोठ-प्रवास
मकानों के गोठ में हर महीने के चार-पांच दिनों तक मवेशियों के साथ-साथ खड़कुवा और हमारी मां और भाभियां भी रहती थीं. मिट्टी-गोबर से सनी हुई ये औरतें गोठ-प्रवास के पांचवे दिन मील भर की दूरी पर स्थ... Read more
उत्तराखंडी चेतना की नई शुरुआत या पटाक्षेप
फरवरी 2014 में, जब उस वक़्त के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के त्यागपत्र के बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी, खतरनाक सियासती उठापटक का सिलसिला तभी से शुरू हुआ था. जैसा कि होना ही... Read more
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