फ़िल्म आस्वाद किसे मानें
बीती 22 जून से 25 जून इंदौर की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था ‘सूत्रधार’ ने इंदौर के होटल अपना व्यू के सबरंग सभागार में फ़िल्म आस्वाद की कार्यशाला आयोजित की जिसमें आस-पास के इलाके और इंदौर से क... Read more
हिंदी सिनेमा की पहली ब्लैक कॉमेडी
यदि हिंदी सिनेमा में अभिनय की विभिन्न पाठशालाओं पर एक मोटी-मोटी नजर दौड़ाई जाये तो दो स्कूल सबसे पहले दिखलाई देंगे. एक नाटकीय अभिनय का और दूसरा स्वाभाविक अभिनय का. सर्वश्रेष्ठ नाटकीय अभिनेता... Read more
सिनेमा एक तरह का त्राटक है
अँधेरे में बैठकर एक जगमगाते स्क्रीन को देखना एक तरह का त्राटक ही है. आप आसपास की सारी दुनिया भूल जाते हैं और समूचा अस्तित्व उन चलती-फिरती तस्वीरों के साथ हिलने-डोलने लगता है, जो सामने है. त्... Read more
होली, पागल और पूजा तीनों 1940 में अब्दुल रशीद कारदार की बनाई तीन फ़िल्में हैं. अब्दुल रशीद कारदार की सिनेमाई भूमिका मूक फिल्मों से अमिताभ के उदय के दौर तक फैली हुई है. सहगल शाहजहाँ राजकपूर सु... Read more
सिनेमा : रोशनदान से दिखता घर का सपना
इटली में 1901 में पैदा हुए फिल्मकार वित्तोरियो डी सिका यथार्थवादी सिनेमा के उस्ताद हैं. यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि वे फ़िल्मकारों के फिल्मकार हैं. खुद हमारे देश के तीन बड़े फ़िल्मकारों –सत्य... Read more
Popular Posts
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल
- चप्पलों के अच्छे दिन
- छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
- बिरुण पंचमि जाड़ि जामलि, बसंतपंचमि कान कामलि
- ‘कल फिर जब सुबह होगी’ आंचलिक साहित्य की नई, ताज़ी और रससिक्त विधा
- कसारदेवी के पहाड़ से ब्लू सुपरमून
- ‘लाया’ हिमालयी गाँवों की आर्थिकी की रीढ़ पशुपालकों का मेला
- ‘गिर्दा’ की जीवन कहानी
- पहाड़ों में रोग उपचार की एक पारम्परिक विधि हुआ करती थी ‘लङण’
- पूर्व मुख्यमंत्री टॉर्च और मोमबत्ती की मदद से खोजने निकले ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण
- उत्तराखंड में सकल पर्यावरण सूचक