पहाड़ की लोक परम्पराओं, लोक आस्थाओं एवं लोकपर्वों की विशिष्टता के पीछे देवभूमि के परिवेश का प्रभाव तो है ही साथ ही यहॉ की विशिष्ट भौगोलिक संरचना भी दूसरे क्षेत्रों से इसे अनूठी पहचान देती है... Read more
‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श
लोक के क्षितिज से उपजा और अन्तर्राष्ट्रीय फलक तक अपनी धमक पहुंचाने वाला कुमाऊॅ के सुपर-डूपर लोकगीत ‘बेड़ू पाको बारामासा’ से भला कौन अपरिचित है. गीत का मुखड़ा किसने लिखा और कब से यह लोकजीवन क... Read more
हमारा समाज विविधताओं से भरा है, उतनी ही अनोखी हैं, हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति व लोकपरम्पराऐं. कमोवेश प्रत्येक लोकजीवन की अपनी-अपनी विशिष्टताऐं होती हैं,लेकिन जब पहाड़ के लोकजीवन की बात आती है... Read more
पहाड़ चढ़ना जितना मुश्किल होता है, उस पर जिन्दगी बसर करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. जीवन की मूलभूत सुविधाओं की दुश्वारियों के दंश उन्हीं पाषाणों में पुष्प खिलाने के गुर भी उन्हें सिखात... Read more
दादी-नानी के नुस्खे वाली पंजीरी घर पर ऐसे बनायें
जाड़ों का मौसम हो तो अक्सर हमें गर्म तासीर वाली चीजों की आवश्यकता महसूस होने लगती है. विशेष रूप से नवप्रसूता महिलाओं के लिए पंजीरी एक ऐसा व्यंजन है जो उनके शरीर को न केवल ठण्ड से बचाता है, ब... Read more
देश की सेना के शौर्य परम्परा की गौरवपूर्ण गाथा में 16 दिसम्बर 1971 का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया, जब देश के रणबांकुरों ने सीमाओं पर दुश्मन के दांत खट्टे कर इतिहास रच डाला. विश्व के... Read more
शब्द अथवा शब्दों के समुच्चय से कोई भाव या विचार बनता है. यदि मात्र एक शब्द से ही हम किसी भाव को अभिव्यक्त करने मे समर्थ हों, तो यह भाषा की बेहतरीन खूबी है. इस दिशा में दूसरी भाषाओं की अपेक्ष... Read more
बचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार याद
जब हम छोटी कक्षाओं के छात्र हुआ करते और बड़े भाई जो घर के मुखिया भी थे, पुरोहिती का कार्य करते थे. उस दौर में दशहरा द्वार पत्र मुद्रित रूप में नहीं हुआ करते थे, अगर होते भी होंगे तो बड़े महा... Read more
श्रद्धालुओं में निराशा है कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते 15 जून को कैंचीधाम में आयोजित होने वाला मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा का विशाल वार्षिक समारोह पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी नहीं हो प... Read more
गाली में भी वात्सल्य छलकता है कुमाउनी लोकजीवन में
किसी भी सभ्य समाज में गाली एक कुत्सित व निदंनीय व्यवहार का ही परिचायक है, जिसकी उपज क्रोधजन्य है और परिणति अपने मनोभावों से दूसरों के दिल को चुभने वाले शब्द कहकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना... Read more
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