दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन – (२) बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन… जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर – (२) आँखों प... Read more
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