उत्तराखंड में रजस्वला स्त्रियों का गोठ-प्रवास
मकानों के गोठ में हर महीने के चार-पांच दिनों तक मवेशियों के साथ-साथ खड़कुवा और हमारी मां और भाभियां भी रहती थीं. मिट्टी-गोबर से सनी हुई ये औरतें गोठ-प्रवास के पांचवे दिन मील भर की दूरी पर स्थ... Read more
उत्तराखंडी चेतना की नई शुरुआत या पटाक्षेप
फरवरी 2014 में, जब उस वक़्त के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के त्यागपत्र के बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी, खतरनाक सियासती उठापटक का सिलसिला तभी से शुरू हुआ था. जैसा कि होना ही... Read more
मोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दैहिक कहानी का अंत
फरहत का परिवार हमारे पड़ोस में रहता था. चूल्हे-चौके की तमाम गोपनीयता के बावजूद दोनों परिवार लगभग एक ही छत के नीचे थे. ब्रिटिश प्रशासकों ने तालाब के किनारे के बाज़ार बनाए ही उन भारतीयों के लिए... Read more
नैनीताल के अजाने इतिहास से निकली एक और अनोखी कहानी
नैनीताल के फांसी गधेरे से जुड़ी अनेक किंवदंतियों-कहावतों-किस्सों के पसमंजर में गूंथकर रचा गया है इस अद्भुत कथा को. इतिहास, समाजशास्त्र और फंतासी के बीच तैरती-उतराती यह कथा एक से अधिक बार पढ़े... Read more
मोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दास्तान
यह विचित्र किस्म का नाम एक ही व्यक्ति का है, जिसमें एक साथ तीन रिश्तों के संबोधन पिरोए गए हैं. दो संबंध तो स्पष्ट हैं, बड़ा भाई और चाचा, मगर तीसरा शब्द ‘बड़बाज्यू’ कुमाऊनी का है, जिसका अर्थ है... Read more
अंग्रेज़ों के द्वारा बसाए गए नैनीताल जैसे पहाड़ी शहरों की चर्चा बिना बंपुलिस के संभव ही नहीं है. बचपन में हमें हैरानी होती थी कि जंगल के बीचों-बीच पत्थर की दीवारों और टीन की छतों वाले, बाहर से... Read more
वो शिखर पर जो गाँव है, वही काफलीधार है. किसने रखा होगा यह नाम? सोचती है लछिमा – कैसा है यह नाम? ‘काफल वाली धार!’ लेकिन सिर्फ काफल तो होता नहीं वहां. काफल के अलावा बुरुंश ह... Read more
एक थी पुष्पा दीदी यह विशेषता बुआ जी के परिवार की ही नहीं, उस दौर में लगभग सार मध्यवर्गीय परिवारों की थी कि चूल्हे-चैके की सीमारेखा के बावजूद आपस में लोग सगे-संबंधियों की तरह रहते थे. हर आदमी... Read more
पीटर बैरन ने बायीं ओर की सलेटी शिला पर कुछ पलों के लिए अपनी पीठ टिकायी और जैकेट की ऊपरी जेब से डायरी निकालकर उसमें आज की तारीख का पन्ना खोला : 27 अप्रेल, 1835. उम्मेद सिंह और दुर्गादत्त पीठ... Read more
शेरवुड स्कूल का अमिताभ बच्चन और नैनीताल के छोकरे
1958-60 के वर्षों में जब अमिताभ बच्चन नैनीताल के मशहूर शेरवुड कालेज में पढ़ रहे थे उन दिनों मैं नगर पालिका के जूनियर हाईस्कूल में पढ़ रहा था. वे हमारे ही नहीं, नैनीताल के भी अच्छे दिन थे. शहर... Read more
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