इतिहास लेखन में महिलाओं की ध्वजवाहक ‘गुलबदन बेगम’
1520 का वक़्त था जब तेरह वर्षीय हुमायूँ को बाबर ने बदक्खशा का सूबेदार नियुक्त किया गया. हुमायूँ की उम्र कच्ची थी लेकिन बाबर चाहता था कि वो प्रशासन के दाव-पेंच जितनी जल्दी सीख जाए उतना अच्छा... Read more
बात 1470 के आस-पास की है, दश्त-ए-किप्चाक (तुर्किस्तान) में राजनीतिक उथल-पुथल चल रही थी. हाल ही में दश्त-ए-किप्चाक ने अपना शासक खोया था और नये अनुभवहीन शासक बुरुज औघलान ने गद्दी संभाली थी. मं... Read more
सोमेश्वर घाटी में श्रम का महीना ‘असोज’
सोमेश्वर, कोसी और साईं नदी के बेसिन पर बसा एक उपजाऊ इलाका है. मुख्य फसल धान वाली सोमेश्वर घाटी को चावल का कटोरा कहा जाता है. चावल इस घाटी के लोगों के लिए केवल फसल नहीं है बल्कि इस पौधे के जी... Read more
पुरुषों के वर्चस्व वाले परम्परागत पेशे को अपनाने वाली सोमेश्वर की ‘गीता’ की कहानी
हम अक्सर बात करते हैं कि महिलायें आज पुरुषों से कम नहीं हैं. आज महिलाओं ने हर जगह अपनी पैठ बना ली है चाहे वह अभियांत्रिकी का क्षेत्र हो, चिकित्सा का या फिर राजनीति, सेना या शिक्षा. पर हम कभी... Read more
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