आज ‘ओलंपियन विवेक’ का चौसठवां जन्मदिन है
ओलंपिक खेलों के दौरान घर के सबसे छोटे बच्चे की नज़र से मैच, ख़ासकर हॉकी, देखना अजब गुदगुदा देने वाला अनुभव होता है. पापा. सबसे उत्सुक और उत्साह से लबरेज़ बच्चा. उन्हें हॉकी मैच देखते देखना द... Read more
अलविदा दिलीप कुमार
हमारे बचपने में अमिताच्चन ने अपनी एंग्री यंग मैन वाली गर्वीली गर्माहट से खासा बवाल काट रक्खा था. उसकी भारी आवाज़, एक हाथ को कमर पर टिका दूसरा टेढ़हुंस करके हांय–बांय बोलना यहां तक कि उसकी हर... Read more
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुए डेढ़ दशक हुए थे और दुनिया साम्राज्यवाद के नरम संस्करणों में शांति और समृद्धि के नए रास्ते तलाश रही थी. युद्ध की विभीषिका के बाद विज्ञान से बेहतर कल की अपेक्षाएं... Read more
‘जोहान वी हल्टिन’ द वायरस हंटर
अलास्का में आर्कटिका से बस 75 मील दूर अवस्थित एक छोटे से तटीय गांव ‘ब्रेविग मिशन’ में जून 1951 में एक अजीब दृश्य देखा गया. आयोवा से आए एक आगंतुक ने वहां के कब्रिस्तान में पहले छोटे-छोटे फायर... Read more
I had a little birdAnd it’s name was EnzaI opened the windowAnd in flew–Enza (बच्चों के बीच स्पैनिश इन्फ्लूएंजा को लेकर ये एक लोकप्रिय जिंगल.) इतिहास खुद को दुहराता है? इतिहास, खुद को... Read more
नई सदी के दो दशकों का खोया-पाया
हम नब्बे के दशक के लौंडो के लिए ट्वेंटी-ट्वेंटी शब्द युग्म एक सपने की तरह आया था. जितना हम उस दौर में अपने ख्वाब में ‘कभी लिंकिंग रोड कभी पैडल रोड’ पर रैन्देवू विथ रवीना टण्डन कर... Read more
डियर एसपीबी,आई जस्ट कॉल्ड टू से आई लव यू. आवाज़ बहुत भारी थी वो. बहुत ही भारी. तमाम आवाज़ों के बीच जगह बनाकर भीतर जम गई. यूं कि जैसे आलती-पालथी मारे बैठ ही गई हो. बहुत मशक्कत से उठाने से भी... Read more
आप शिकंजी पीना चाहेंगे?
निजी कारणों की वजह से शुरुआत में ही मैं खुद को इस वाकये से अलग कर लेता हूँ. तो वो एक पुलिस चौकी थी जिसमें चार सीसीटीवी कैमरे लगने थे. तीन बाहर और एक अंदर. बाहर के सभी कैमरे लगने के बाद चौकी... Read more
क्या है डिजिटल लाइब्रेरियों का भविष्य?
अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो आपके लिए एक ज़रूरी सूचना है. तकरीबन दो-तीन माह पूर्व मुझे एक दोस्त ने एक वाट्सएप ग्रुप का हिस्सा बनाया जहाँ किताबों की डिजिटल कॉपी या पीडीएफ फाइल शेयर की जाती है. कॉप... Read more
खटीमा में हुए एक पुराने पुलिस एनकाउंटर की कहानी
[उत्तराखण्ड के जनपद उधमसिंहनगर में साल 2009 में घटे एक लाइव एनकाउंटर की यह कथा हमारे सहयोगी अमित श्रीवास्तव ने बयान की है. इन दिनों जब पुलिस एनकाउंटर की पूरी प्रक्रिया कई तरह के प्रश्नों के... Read more
Popular Posts
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर