मैमूद: शैलेश मटियानी की कालजयी कहानी
Posted By: Kafal Treeon:
महमूद फिर ज़ोर बाँधने लगा, तो जद्दन ने दायाँ कान ऐंठते हुए, उसका मुँह अपनी ओर घुमा लिया. ठीक थूथने पर थप्पड़ मारती हुई बोली, “बहुत मुल्ला दोपियाजा की-सी दाढ़ी क्या हिलाता है, स्साले! द... Read more
इन दिनों शानी बहुत याद आ रहे हैं. 1965 में जब अक्षर प्रकाशन से उनका उपन्यास ‘काला जल’ प्रकाशित हुआ था, तभी से लेखकों-आलोचकों के द्वारा इस ओर इशारा किया जा रहा था कि भारत के आधुनिक मध्यवर्गीय... Read more
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