द्वितीय केदार मदमहेश्वर का रोचक यात्रा वृतांत
एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पाण्डव अपने कुल का नाश करने के पाप से मुक्ति हेतु भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने गये, लेकिन शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे. वे पाण्डवों... Read more
मदमहेश्वर: जहां शिव की नाभि पूजी जाती है
द्वितीय केदार मदमहेश्वर मद्महेश्वर, मध्यमहेश्वर या मदमहेश्वर उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में है. यह पंचकेदार मंदिर समूह का द्वितीय केदार है. प्रथम केदार केदारनाथ, तृतीय केदा... Read more
उत्तराखण्ड में स्थित भगवान शिव के पंच केदार
उत्तराखण्ड को देवभूमि भी कहा जाता है. यहाँ के उच्च हिमालयी क्षेत्र देश-विदेश में मशहूर मंदिरों से पटे हुए हैं. धर्मग्रंथों और पुराणों में ढेरों प्रसंगों में उत्तराखण्ड का जिक्र मिलता है. शिव... Read more
Popular Posts
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर