इस बार नहीं आयी भिटौली
जो भागी जियाला ईजू नौ रितु सुण ल वे गयो रे मनखा ईजु काँ रितु सुणौ ल वे जब ये रचना रची गई होगी तब रचनाकार ने बहुत आगे की दुनिया देख ली होगी. संभव है आज की दुनिया भी. चैती के बोल जब कानों में... Read more
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में चैत्र नवरात्र में मनाया जाने वाला त्यौहार है चैतोल. मुख्यतः पिथौरागढ़, चम्पावत जिलों के विभिन्न हिस्सों में मनाये जाने वाले इस त्यौहार के स्वरूप में स्थान के अनु... Read more
उत्तराखंड में इन दिनों भिटौली का महीना है. इस महीने भाई अपनी बहन या पिता अपनी पुत्री को भिटौली देते हैं. भिटौली के विषय में अधिक इस लेख में पढ़िए. भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा इस... Read more
भिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथा
जेठ म्हैणा जेठ होली, रंगीलो बैसाख, रंगीलो बैसाख लाड़ो म्हैणा, योछ चैतोलिया मास. बैणा वे येछ गोरी रैणा मैणा ऋतु मयाल. कुमाऊँ के जोहार अंचल में गाये जाने वाले इस गीत का भाव है— जेठ का महीना सबस... Read more
भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा
उत्तराखण्ड में चैत (चैत्र) का महीना लग गया है. कुमाऊं में चैत के महीने में विवाहित बहनों व बेटियों को भिटौली देने की विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा है. चैत के पहले दिन बच्चे फूलदेई का त्यौहार मन... Read more
रितुरैण या ऋतुरैण (Riturain) गीतों का उत्तराखण्ड की लोक परम्पराओं में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. इन्हें बसंत ऋतु और विशेषकर चैत्र महीने में गाया जाता है. चैत्र के महीने में गाये जाने के कारण इ... Read more
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