आंचलिक साहित्यिक कृति ‘हम तीन थोकदार’
वर्ष 2020 में उम्र के पचहत्तरवें पायदान में कदम रखते तीन थोकदारों का यह किस्सा शुरू हुआ जिसके पीछे गाँव के बालक की वह कथा है, जिसमें वह मातृ विहीन हो दस साल की आयु तक अपने गोठ- घर में गुजार... Read more
वो सबके बीच चाचू नाम से जाने जाते हैं. उनके सामने पड़े रहते हैं लकड़ी के बेडौल टुकड़े जिन्हें वह जंगल जंगल से बटोर अपनी आँखों के सामने सहेज कर रख देते हैं.बेजान लकड़ियों का हर टुकड़ा इस उम्म... Read more
वन्य जीव विहार का खुलना और धन सिंह राणा की वसीयत
धन सिंह राणा याद आ गए. चमोली जिले के लाता गांव वाले सीधे साधे से आम पहाड़ी. 1974 में बिरला राजकीय महाविद्यालय में अर्थशास्त्र का शिक्षक होने के बाद वहां ऐसे कुछ चेले मिले जो हर छुट्टी में अप... Read more
अंग्रेजी राज में पहाड़ का पानी
किसी इलाके में रहने वाले लोग अपने कामकाज को वहां के पर्यावरण व परिवेश के हिसाब से न केवल निर्धारित करते है बल्कि मात्रा व गुणवत्ता की दृष्टि से उन्हें विकसित करने के प्रयत्न व प्रयास भी करते... Read more
अंग्रेजों के ज़माने की चाय की फसक पराव
हाथ में गरम चहा का गिलास पकड़े और फिर गुनगुनाते पहाड़ी धुन का ये गीत आपने कभी न कभी सुना ही होगा “ओ! हो ठुल बौज्यू! कसिकै छुटण छू, अमल पड़ी गो चहा को पाणी. ओ! हो! ठुलबौज्यू!…... Read more
भाषाविदों के अनुसार कुमाँऊनी एक इंडो आर्यन भाषा है जो कुमाऊँ में प्रचलित है और अलग-अलग जनपदों में थोड़े बहुत अलग सुर और ढंग से बोली जाती रही है. अब जो मीठा और लोचदार स्वर कुमय्याँ का लोहाघाट... Read more
पहाड़ में आयुर्वेद और अल्मोड़ा के परम्परागत वैद्य
पहाड़ की परम्परागत चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद प्रचलित रहा. लोक विश्वास के साथ ही जनमानस में ऐसी अनेक परम्पराएं पोषित होती रहीं जो कर्मकांड, तंत्र, ज्योतिष एवं आयुर्वेद से सम्बन्धित थीं. वर... Read more
2/1 गोरखा राइफल्स के हवलदार दिलीप सिंह के घर 15 अगस्त 1914 को हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के मुख्यालय धर्मशाला में स्थित सल्ला धारी गांव, जिसे पेंशनर लाइन भी कहा जाता था, में उस सपूत ने जन... Read more
उत्तराखंड में भूमि प्रबंधन व राज्य को चलाने के लिए आगम के प्रमाण कत्यूरी राजाओं के समय से मिलते हैं. कत्यूरी नरेशों के काल में खेतीबाड़ी, जंगलात और खनन आगम प्राप्ति के मुख्य स्त्रोत थे. खेत... Read more
सेम मुखेम में नागराजा की माया
पहाड़ों में उसके सीमांत से जान -पहचान बढ़ाने के लिए की जाने वाली पद यात्राएं बहुत कुछ दे जातीं हैं. वह नयनाभिराम दृश्य तो होते ही हैं जो सबको रिझाते हैं. बार-बार आने का न्यूत दे जाते हैं. दू... Read more
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