रूग्ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं कभी मिले थे... Read more
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