चम्पावत से ढकना गांव (चम्पावत-अल्मोड़ा पुराना पैदल मार्ग) तक तीन किमी. और ढकना से चम्पावत-मायावती पैदल मार्ग से लगभग चार किमी. की दूरी पर प्राचीन कुमाऊँ की स्थापत्यकला के एक अत्यंत उत्कृष्ट उ... Read more
काली कुमाऊं के जिमदार देवता अर्थात भूमिया की कथा
भूमि के देवता के रूप में जिमदार, भूमियाँ व क्षेत्रपाल, इन तीन नामों से पूजा जाता है. भूमिया जो भूमि का स्वामी, गाँव का रक्षक, पशुओं तथा खेती की देखभाल करने वाला ग्राम देवता है, इसी को कुछ लो... Read more
सोर घाटी में गंगोत्री गर्ब्याल राजकीय बालिका इन्टर कालेज के परिसर में समय एक किला या गढ़ हुआ करता था. 1960 में स्कूल के सभागार निर्माण हेतु इसे तोड़ दिया गया. इस किले का लोकप्रिय नाम था खड़कोट... Read more
यह लेख डॉ. राम सिंह की किताब आजाद हिन्द फ़ौज के क्रांतिवीर से लिया गया है. यह लेख मूल रूप से चौंली, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ के रहने वाले जोहार सिंह खाती के जीवन संघर्ष से जुड़ा है जो 2001 में डॉ.... Read more
डॉ. राम सिंह की स्मृति: अपने कर्म एवं विचारों में एक अद्वितीय बौद्धिक श्रमिक
10 अक्टूबर 2016 को दिवंगत हुए पिथौरागढ़ में रहने वाले अद्वितीय मनीषी और कर्मठ विद्वान डॉ. राम सिंह ने उत्तराखंड के इतिहास पर अद्वुतीय कार्य किया था. इस महाप्रतिभा को याद कर रहे हैं हमारे साथी... Read more
Popular Posts
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा