पहाड़ की एक माई जो नशे के कारोबार को मिट्टी तेल से स्वाहा कर कहलाई ‘टिंचरी माई’
उत्तराखंड में नशे का कारोबार हमेशा से एक चुनौती रही है. पहाड़ों में ऐसा कोई गांव न होगा जहां नशे के कारण बरबाद एक परिवार न हो. पहाड़ों में नशे के विरोध में सबसे अधिक संघर्ष किसी ने किया है त... Read more
सन् चौहत्तर के आस-पास की बात है. कोटद्वार में कर्मभूमि के संपादक स्व० भैरवदत्त धूलिया के घर में टिंचरी माई और पीताम्बर डेवरानी बैठे थे. माई किसी वजह से अस्थिर थीं. बातें करते-करते उठतीं और ज... Read more
नशा हमेशा से ही उत्तराखण्ड की प्रमुख समस्या रहा है. उत्तराखण्ड की जनता इस असमाधेय समस्या के खिलाफ समय-समय पर उठ खड़ी होती है. आज भी शराब के ठेकों की नीलामी के समय समूचा पहाड़ शराब माफियाओं और... Read more
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