हिमालय में रूह तलाशता एक जिन्न
जीन डेलहाय ने यूं तो बेल्जियम में जन्म लिया लेकिन उसकी आत्मा हमेशा हिमालय की वादियों में विचरती है. साल 2014 के सितंबर महीने में एक शाम जब वह बागेश्वर पहुंचा तो, छह फीट से ज्यादा लम्बे इस छर... Read more
बागेश्वर के खर्कटम्टा गांव से तीन ताम्र शिल्प कारीगरों की बात जो लुप्त होती कला को बचाने में लगे हैं
बागेश्वर जिले के खर्कटम्टा गांव में कभी तांबे से बनने वाले बर्तनों की टन्न… टन्न की गूंज दूर घाटियों में सुनाई पड़ती थी, लेकिन वक्त की मार के चलते ये धुनें अब कम ही सुनाई देती हैं. हांलाकि,... Read more
सलाम त्रेपनदा! हरदम दिलों में रहोगे जिंदा
21 सितंबर 2014 को रविवार का वो दिन मेरे सांथ ही नागरिक मंच के सांथियों के लिए काफी चहल-पहल भरा था. साल में सितंबर के बाद महिने में किसी रविवार को मंच, अपने-अपने क्षेत्र में समाज के लिए निस्व... Read more
युवाओं को भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षित करने वाले रिटायर्ड कैप्टन नारायण सिंह
गरूड़ से बागेश्वर को आते वक्त मित्र दीपक परिहार ने एक बार बताया कि वो गोमती नदी के पार जो मैदान है न वहां एक रिटायर्ड कैप्टन, बच्चों को फौज में भर्ती होने की नि:शुल्क ट्रैनिंग दे रहे हैं. बह... Read more
उस जमाने का रिजल्ट जब लट्ठ, बिच्छू घास और चप्पलें ही बड़े-बुजुर्गों के आंणविक व विध्वंसक हथियार होते थे
अभी हाल में हर तरह के बोर्ड के रिजल्ट निकल आए हैं. कुछेक निकलने बांकी हैं. वैसे इस कोरोनाकाल में निकले रिजल्ट में किसी का जैक पॉट लगा तो बांकियों की भी लॉटरी निकल ही आई. जैकपॉट वालों में से... Read more
उत्तराखंड का एक छोटा सा जिला है बागेश्वर. यहां के कांडा तहसील में स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात रही डॉक्टर समीउन्नेसा को लोग उनके समर्पण को गाहे-बगाहे हर हमेशा याद करते रहते हैं. उनके समर्पण भ... Read more
हिमालय की कठिन चढ़ाई के दौरान बुजुर्गों द्वारा सूखी लाल मिर्च खाने का किस्सा
पंकज अब अपनी रौ में आ गया था. सुबह जल्दी उठो के नारे के बाद उसने कमान अपने हाथ में ले ली. मैं मुस्कुरा दिया. चाय पीने के बाद हमने नागन्यालजी से विदा ली और नागलिंग गांव के किनारे से ढलान का र... Read more
बाद में जब इस यात्रा के बारे में नगन्यालजी से बातें हुवी तो उनके पास उनके बचपन के ढेरों किस्सों की खान मिली. बकौल नगन्यालजी – (Sin La Pass Trek 20) गाँव की पवित्र शिला, जिसको प्राचीन... Read more
सामने पंचाचूली बांहें फैलाए दिखी. उसका ग्लेशियर किसी खौलते हुए लावे की तरह डरावना प्रतीत हो रहा था. कुछ पलों तक उसे निहारने के बाद तन्द्रा टूटी तो दांई ओर जसुली दत्ताल की एक खूबसूरत मूर्ति द... Read more
दारमा के बेदांग में तैनात पंचाचूली के पहरेदार
‘क्यों आए, कैसे आए, परमिट दिखाओ…’ के सवाल उठने लाजमी थे. इस पर हमने उन्हें अपने परमिट दिखाए. रजिस्टर में दर्ज करते हुए जब उन्हें भान हुआ कि हममें से दो पत्रकार हैं तो उनका... Read more
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