अरुण यह मधुमय देश हमारा
Posted By: Kafal Treeon:
शाम को टहलते हुए सोच रहा था कवि ने ऐसा क्यों कहा – अरुण यह मधुमय देश हमारा? वह कह सकता था – देखो यह मधुमय देश हमारा, अथवा – अहो यह मधुमय देश हमारा. कविगण भूत, भविष्य,... Read more
ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये इदं न मम
Posted By: Girish Lohanion:
उनके जैसा ज्वलनशील व्यक्ति मिलना मुश्किल था. लोग कहते हैं कि उनके माथे पर लिख दिया जाना चाहिये था- अत्यंत ज्वलनशील, दूरी बनाए रखें. थोड़े-बहुत ज्वलनशील तो हम सभी होते हैं, वे अत्यंत ज्वलनशील... Read more
मॉरिशस में युवाओं को हिंदी में आनंदित होते देखा
Posted By: Kafal Treeon:
सविता तिवारी स्वतंत्र पत्रकार, मॉरीशस विश्व हिन्दी सम्मेलन में जाने का यह मेरा पहला मौका था. लोगों की बातें, उम्मीदों और अपेक्षाओं को थोड़ी देर के लिए अलग कर दिया जाए तो मुझे निजी रूप से इस... Read more
Popular Posts
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं