दूर कहीं किसी पर्वतीय अंचल में पतली-पतली पगडंडियों पर चलता हुआ एक अलग सा जुड़ाव व खिंचाव लगता है कदमों में. पहले पहल तो मैं इसे थकावट व ऊबासी लेती हुई चाल समझ रहा था. पर ये थकावट की चाल... Read more
Popular Posts
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
- देहरादून की जनता ने अपने पेड़ों को बचाने की एक और लड़ाई जीती
- जब पहाड़ के बच्चों का मुकाबला अंग्रेजी मीडियम से न होकर हिन्दी मीडियम से था
- मुनस्यारी के धर्मेन्द्र की डॉक्यूमेंट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी
- तैमूर लंग की आपबीती
- हमारे बच्चों के लिए गांव के वीडियो ‘वाऊ फैक्टर’ हैं लेकिन उनके सपनों में जुकरबर्ग और एलन मस्क की दुनिया है
- मेले से पिछली रात ऐसा दिखा कैंची धाम
- कमल जोशी की फोटोग्राफी में बसता पहाड़
- आज मनाया जाता है दसौर यानी गंगा दशहरा पर्व
- रुढ़िवादी परम्पराओं को दरकिनार कर बेटी ने किया मां का श्राद्ध
- भोट-तिब्बत व्यापार में दोस्ती और जुबान की कीमत
- आओ मिलकर अपनी धरती को बचाएं
- खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर
- पहाड़ में लड़के का परदेश जाना बेटी की विदाई से कम नहीं
- सांसद अजय टम्टा का वीडियो क्लिप वायरल
- ‘हिमांक और क्वथनांक के बीच’ केवल यात्रा वृतांत नहीं है
- उत्तराखंड से मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले एकमात्र सांसद
- मार्कण्डेय की कहानी ‘हंसा जाई अकेला’
- अल्मोड़े का लच्छी राम थिएटर उर्फ़ रीगल सिनेमा
- पत्नी का पत्र
- जवाहरलाल नेहरू के ‘बेडू बॉय’ मोहन उप्रेती की आज पुण्यतिथि है
- आज आंचलिक त्यौहार वट सावित्री है
- सैर सपाटा और फर्राटा नहीं हैं चार धाम
- कहानी डाकू हसीना की
- अपने सांसदों को जानिये