भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा
काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली थी -लक्ष्मण सिह बिष्ट ‘बटरोही’ हिमालय की गोद में बसे कुमाऊँ की पुरानी राजधान... Read more
इन दिनों शानी बहुत याद आ रहे हैं. 1965 में जब अक्षर प्रकाशन से उनका उपन्यास ‘काला जल’ प्रकाशित हुआ था, तभी से लेखकों-आलोचकों के द्वारा इस ओर इशारा किया जा रहा था कि भारत के आधुनिक मध्यवर्गीय... Read more
गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से
गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से –बटरोही मेरा जन्म अल्मोड़ा जिले की मल्ला सालम पट्टी के छानागाँव में हुआ था. पुरखे बताते थे कि कई पीढ़ी पहले वे लोग भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली काली... Read more
दुर्दशा का शिकार महादेवी वर्मा सृजन पीठ
मेरे पास अनेक संदेश आ रहे हैं कि क्या महादेवी वर्मा सृजन पीठ बंद हो गयी है? उसे किसने बंद किया और क्यों किया? क्या यह एक सरकारी संस्था थी? क्या इसका कोई स्वायत्त ढांचा था? मेरा इस संस्था के... Read more
उत्तराखंड में रजस्वला स्त्रियों का गोठ-प्रवास
मकानों के गोठ में हर महीने के चार-पांच दिनों तक मवेशियों के साथ-साथ खड़कुवा और हमारी मां और भाभियां भी रहती थीं. मिट्टी-गोबर से सनी हुई ये औरतें गोठ-प्रवास के पांचवे दिन मील भर की दूरी पर स्थ... Read more
उत्तराखंडी चेतना की नई शुरुआत या पटाक्षेप
फरवरी 2014 में, जब उस वक़्त के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के त्यागपत्र के बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी, खतरनाक सियासती उठापटक का सिलसिला तभी से शुरू हुआ था. जैसा कि होना ही... Read more
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