भिटौली : भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक
उत्तराखंड में चैत्र माह में प्यूंली के पीले और बुरांश के लाल फूल खिल कर वसंत ऋतु के आगमन का संदेश दे देते हैं, बच्चों की टोलियां अपनी नन्हीं टोकरियों में रंग-बिरंगे फूल भर कर चैत्र माह के पह... Read more
चंद्र दत्त पंत मास्साब की स्मृति में
मैं उनसे पहली बार आज से ठीक 58 वर्ष पूर्व मार्च 1962 में मिला था. मैंने वहां लीलावती पंत इंटर कालेज से इंटर की परीक्षा दी थी. अपनी पुस्तक ‘मेरी यादों का पहाड़’ में मैंने उस समय को शिद्दत से... Read more
पहाड़ों में पाया जाने वाला फल जिसे चंगेज खां अपने सैनिकों को उनकी याददाश्त बढ़ाने के लिये खिलाता था
कुछ समय पहले पहाड़ से कवि-कथाकार मित्र अनिल कार्की ने नन्हे, सुंदर, सिंदूरी फलों से लदे एक अनजाने पौधे का फोटो भेजा. लिखा था, ‘सिरदांग में हमने इसका जूस पीया था. आपका परिचय जरूर होगा इस पेड़... Read more
कहां गया हमारे पहाड़ का चुआ
अब तो भूले-बिसरे ही याद आता है हमें रामदाना. उपवास के लिए लोग इसके लड्डू और पट्टी खोजते हैं. पहले इसकी खेती का भी खूब प्रचलन था. बचपन में मंडुवे यानी कोदों के खेतों के बीच-बीच में चटख लाल, स... Read more
दूर उत्तराखंड के पहाड़ों से रैबार देने वाले पत्रकार साथी संजय चौहान और शैलेंद्र गोदियाल का कहना है कि उत्तरकाशी और टिहरी जिले के जंगलों में इन दिनों नील कुरेंजी के फूलों की बहार आ गई है. खास... Read more
बम्बइया पिक्चर की कहानी, दिल्ली की थकान और कुमाऊं का लोकगीत: देवेन मेवाड़ी की स्मृति में शैलेश मटियानी
सन् साठ के दशक के अंतिम वर्ष थे. एम.एस.सी. करते ही दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में नौकरी लग गई. आम बोलचाल में यह पूसा इंस्टिट्यूट कहलाता है. इंस्टिट्यूट में आकर मक्का की फसल पर शो... Read more
ओ चड़ी कलचुड़िया चड़ी
मेरा गांव-कालाआगर. नैनीताल से करीब 100 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में. इस ऊंची पर्वतमाला को जिम कार्बेट कालाआगर रिज कहते और लिखते थे. उस दिन ‘ब्लू ह्विसलिंग थ्रश’ यानी हमारी कलचुड़िया इतने कर... Read more
मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग
असल में लोकोक्ति है- “मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग.” बचपन में सुना ही सुना था. सिसुणा का साग बनता बहुत कम घरों में था. फिर भी, जहां बनता था, चखने को मिल जाता था. लेकिन, सच यह है कि जो स... Read more
मनोहर श्याम जोशी और विज्ञान
‘कुरू-कुरू स्वाहा’, ‘कसप’, ‘क्याप’ तथा ‘हमजाद’ जैसे गंभीर उपन्यासों के रचयिता, साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार और ‘हम लोग, ‘बुनियाद, ‘हमराही’ तथा ‘गाथा’ जैसे अपने बहुचर्चित दूरदर्शन धा... Read more
प्रिय पल्लवी, तुम्हारा पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई. यह जान कर और भी अधिक हर्ष हुआ कि तुम में नई चीजों को सीखने और नई बातों को जानने की ललक है. तुमने लिखा है कि तुम पत्र लिख कर अपने सवालों क... Read more
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