4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 61 (Column by Gayatree Arya 61)पिछली किस्त का लिंक: ढलती उम्र में बेडौल शरीर की स्त्री को बच्चा ही ख़ास होने का एहसास दिलाता है अपने तैंतीसवें जन्मदिन पर इतने... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 59 (Column by Gayatree Arya 59)पिछली किस्त का लिंक: एक बच्चा अपनी मां को बहुत ख़ास महसूस करवाता है रंग मेरी जान, अब तुम खूब चलने लगे हो चौपाया बनकर. एक जगह टि... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 57 (Column by Gayatree Arya 57)पिछली किस्त का लिंक: ज्यादातर लड़के लड़कियों से ‘झूठा प्रेम’ जताकर सिर्फ सेक्स करने की इच्छा रखते हैं तुम कभी-कभी जिस तरह से म... Read more
ज्यादातर लड़के लड़कियों से ‘झूठा प्रेम’ जताकर सिर्फ सेक्स करने की इच्छा रखते हैं
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 56 (Column by Gayatree Arya 56)पिछली किस्त का लिंक: तुम ‘हमेशा सफल होने’ के दबाव वाले समय में पैदा हुए हो यहां नानी के घर पर तुम्हारे बहुत सारे फैन बन गए हैं... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 55 (Column by Gayatree Arya 55)पिछली किस्त का लिंक: एक दिन जबड़ों की बजाए तुम्हारी आंखें पढ़ने लगेंगी तुम यकीन नहीं करोगे रंग, मुझे आज तक एग्जाम के सपने आते... Read more
वहां प्रेग्नेंट औरतें बत्तख और प्रसव कर चुकी औरतें घायल सिपाही जैसे चलती थीं
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 52 (Column by Gayatree Arya 52)पिछली किस्त का लिंक: जब नई-नवेली मां को मदद की ज्यादा जरूरत होती है, तब वह बिल्कुल अकेली होती है ओ.टी. से निकलने के पांच दिन तक... Read more
जब नई-नवेली मां को मदद की ज्यादा जरूरत होती है, तब वह बिल्कुल अकेली होती है
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 51 (Column by Gayatree arya 51)पिछली किस्त का लिंक: जहां तुम्हारी नजरें टिकी थी उसी जिस्म में तुम नौ महीने कैद थे डॉक्टर मेरे बिल्कुल ताजे जख्मों को हाथ से खं... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 50 (Column by Gayatree arya 50)पिछली किस्त का लिंक: बच्चे का पेट से निकल कर गोद तक पहुंचना मां के लिए कितना जानलेवा है खैर, तुम रोए. कानो... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 49 (Column by Gayatree arya 49) पिछली किस्त का लिंक: लेबर पेन के दर्द से मुक्ति के लिए मैं मरना भी मंजूर कर लेती हॉस्पिटल में भर्ती होने के कु... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 48 (Column by Gayatree arya 48) पिछली किस्त का लिंक: नींद में भी दूध पीने की कला में बच्चे माहिर होते हैं लाइव फ्रॉम लेबर रूम भाग-1 आज मैं तुम्हें तुम्हारे जन... Read more
Popular Posts
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता