अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 12
गुडी गुडी डेज़ (स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में है…) अमित श्रीवास्तव न गर्मी न जाड़े के गुदगुदे से दिन थे गुडी गुडी में. सुबह के ठीक सात बजे थे. देवकीनंदन पाण्डे अपना गला खंखार चुके... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 11
गुडी गुडी डेज़ (हीरामन– हीराबाई संवाद; नाम में क्या रक्खा है) अमित श्रीवास्तव हीराबाई- हीराबाई हीरामन- हीरामन हीराबाई- आह! हीरा! हम तुमको मीता कहेंगे फिर… हमारा नाम एक ही है न इसलिए हीर... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 10
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव तंत्री-नाद कबित्त-रस सरस राग रति-रंग. अनबूड़े बूड़े तरे जे बूड़े सब अंग!! सरिता देवी. सुंदरी. सरिता सुंदरी. सस्सु. अपनी सस्सु. बला की खूबसूरत. हालांकि किसी ने आ... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 9
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव हीरामन उवाच-2 (बजाए जा तू प्यारे हनुमान चुटकी) अजीब सी बातें करने लगा था हीरामन. असम्बद्ध बोलता. बोलता तो बोलता ही चला जाता चुप लगाता तो लगता व्रत धारण कर रक्ख... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 8
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव बतखोर चा का सपना (बतखोर चा की झूठी डायरी का पन्ना जो उन्होंने जान-बूझकर हवा में उड़ाया था, कल हाथ लग गया. पाठकों को हिदायत दी जाती है कि इसे पढ़कर अपने रिस्क पर ह... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 7
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव झुटपुटे के खेल पूस का महीना था.शाम का समय.पप्पन उदास बैठे थे. इसके प्रदर्शन के लिए उन्होंने ये किया था कि आँखें ऊपर जहां भी शून्य लिखा हुआ हो वहां और अपनी तशरीफ़... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 6
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव बॉबी चचा के जज़्बात @ मौक़ा-ए-वारदात गुडी गुडी मुहल्ले में एक पुलिस थाना खुला और जैसा कि होना चाहिए उसके खुलते ही वहां अपराध बढ़ने लगे. कुछ लोग इस घटना को ‘आवश्यकत... Read more
Popular Posts
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर