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पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय करीब 2000 बरस पहले बनी एक घाटी में स्थित है. पूरब में सुवाकोट, पश्चिम में ह्यूँपानी, उत्तर में सौड़लेक और दक्षिण में बमधौना नाम की पहाड़ियों से घिरी यह घाटी इतिहास के पन्नों में सोर घाटी नाम से दर्ज है. 24 फरवरी 1960 के दिन सोर घाटी के चारों ओर की 32 पट्टियों को मिलाकर एक नया जिला बना ‘पिथौरागढ़’.
(Sunset Photos Pithoragarh)
मानसखंड में व्यास द्वारा रचित धनवन्तरी के ‘कैलाश यात्रा पथ’ में श्लोक 14 से 27 तक पिथौरागढ़ जिले के अनेक क्षेत्रों का वर्णन मिलता है. पाताल भुवनेश्वर, ध्वज पर्वत, थल, धौली-काली संगम क्षेत्र, चौदास और व्यास जैसे इलाकों का वर्णन मानसखंड के श्लोकों में हुआ है.
एटकिन्सन पिथौरागढ़ को पिठौरागढ़ लिखते हुए इसे ‘पिठौरागढ़ गाँव’ कहते हैं और इसकी आबादी मात्र 255 बताते हैं. अंग्रेज शासकों ने पिठौरागढ़ को सेना की एक छावनी के रूप में विकसित किया.
(Sunset Photos Pithoragarh)
शुरूआत में इसे अंग्रेजों ने कुमाऊँ जिले की चम्पावत तहसील के एक परगने के रूप में रखा. सन् 1882 में पिठौरागढ़ को तहसील का स्तर दिया गया. 1960 में जिला बनने के बाद से यह पिथौरागढ़ उच्चारित किया जाने लगा. पिथौरागढ़ जिले में अनेक ऐसे पर्यटन क्षेत्र हैं जिनमें अपार संभावना है. पिथौरागढ़ मुख्यालय के आस-पास के कुछ इलाकों से देखिये सूर्यास्त की तस्वीरें – (सभी तस्वीर अखिलेश बोहरा ने भेजी हैं)
(Sunset Photos Pithoragarh)
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