आज मशहूर स्पेनिश पेंटर बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो का जन्मदिन है. गूगल डूडल बनाकर उनकी 400वीं जयंती मना रहा है. मुरिलो का बचपन गरीबी में बीता गया था. उनके पिता नाई और सर्जन थे. उन्होंने अपने अंकल से पेटिंग सीखी. बचपन में जो भी पेंटिंग वो बनाते थे उसे मेले में बेच देते थे. बाद के दिनों में कई पेंटर मेले में पेंटिंग बेचने लगे. मेले में पेंटिंग बेचने के काम उन्होंने जवानी तक किया. मुरिलो की सबसे मशहूर पेंटिंग ‘टू विमेन एट अ विंडो’ है. करीब 1655 में बनाई गई पेंटिंग ‘टू विमेन एट अ विंडो’ लगाकर ही गूगल ने बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो को याद किया है. यह पेंटिंग वर्तमान में वाशिंगटन के नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट संग्रह में है. बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो की ज्यादातर पेंटिंग्स सेंट पीटर्सबर्ग के म्यूजियम में रखी हुई हैं
बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो विश्व के उन शुरूआती पेंटरों में हैं जिन्होंने अपनी पेन्टिंग में आम जीवन को जगह दी. उनकी पेन्टिंग में स्पेन की सड़कों से स्पेन के उनके समय के लोग सभी कुछ दिखता है. बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो ने शुरुआतो दिनों में धार्मिक पेंटिंग्स बनाई जिससे बहुत जल्द ही वह लोगों के बीच लोकप्रिय हो गये. जब बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो ने स्पेन के जीवन को अपनी पेंटिंग के माध्यम से लोगों तक पहुंचना शुरू किया तो वह दुनिया भर में लोकप्रिय हो गये.
यह बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो की एक पेन्टिंग है. अतिसंस्कारी होने के कारण इस पेन्टिंग पर आप भी अश्लीलता का आरोप लगा सकते हैं और यह जानकर कि इस पेन्टिंग में स्तनपान कराने वाली स्त्री, स्तनपान करने वाले पुरुष की पुत्री है, आप पाप – पुण्य के फेरे में भी पड़ जायेंगे. यह पेन्टिंग जिस घटना पर आधारित है उसने पूरे यूरोप में ईश्वरी सत्ता, पवित्रता, मानव मूल्यों और प्यार के बीच बहस छेड़ दी थी.
एक बूढ़े आदमी को जेल में सारी जिंदगी भूखे रखने की सजा सुनाई गई. बूढ़े आदमी की एक बेटी थी जिसने अपने सजा पाए पिता से रोज मिलने का अनुरोध शासक से किया था. बेटी को अपने पिता से हर रोज मिलने की अनुमति दे दी गयी. जेल में मुलाकात के समय लड़की की तलाशी ली जाती थी, ताकि वह अपने बूढ़े बाप के लिये कोई खाने-पीने का सामान न ले जा सके. बूढ़े की हालत रोजाना भूखे रहने के कारण दिनों दिन खराब होती जा रही थी. निढाल होते पिता को मौत के करीब जाते देख एक दिन लड़की ने मजबूर होकर मर रहे पिता को अपना स्तनपान कराना शुरू कर दिया. जिससे पिता की हालत में सुधार होने लगा. एक दिन पहरेदारों ने ऐसा करते पकड़ लिया और शासक के सामने पेश कर दिया. यह घटना दो अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों के लिए पाप और पुण्य का मामला बन गयी.
घटना ने समाज को दो गुटों में बंट दिया. एक गुट इसे निंदनीय मानकर पवित्र रिश्ते के हनन को अपराध मान रहा था, तो दूसरा गुट इसे पिता के प्रति प्यार और स्नेह की महान भावना की मिसाल बता रहा था. आखिर में मानव मूल्यों की जीत हुई और दोनों बाप-बेटी को रिहा कर दिया गया. इस घटना को कई पेंटरों ने कैनवास पर उतारा जिसमें बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो की यह पेंटिंग बहुत प्रसिद्ध हुई.
बार्तालोम एस्टेबान मुरिलो की कुछ अन्य पेन्टिंग भी देखिये
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…