कोरना संक्रमण के शुरुआती समय में यह माना गया कि यह वायरस सांपों से इंसान तक पहुंचा है. साथ ही साथ चमगादड़ और फिर पैंगोलिन को भी इस कड़ी का हिस्सा माना गया. बहरहाल, यहां पर इस लेख का उद्देश्य सांपों का कोरना संक्रमण से संबंध स्थापित करना नहीं बल्कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन से उत्पन्न हुई उन अनुकूल परिस्थितियों के बारे मे चर्चा और समझ विकसित करने से है, जिन्होंने सरीसृपों खासकर सांपों की दिखाई देने की घटनाओं को बढ़ा दिया है. (Snakes During Lockdown)
सबसे पहले तो आप यह समझिए कि घरों के आसपास खेतों में सांप दिखाई देना एक बहुत सामान्य सी घटना है. पृथ्वी में अगर हम जीवन के विकास क्रम को देखें तो पाएंगे कि सांप और अन्य सरीसृप इंसानों से कई करोड़ वर्ष पूर्व से इस धरती पर रहते हुए आए हैं. खेतों में सांप दिखाई देने का मतलब सिर्फ इतना भर है कि वह अपने पर्यावास यानी अपने घरों में रह रहे हैं, जी हाँ, खेत-खलिहान साँपों का घर होते हैं.
आप यह भी समझें कि लॉकडाउन के चलते आप, आपके परिवार के सदस्य और पड़ोसी अपना पूरा समय घर पर ही बिता रहे हैं और इस कारण हम अपने आसपास होने वाली हलचलों के प्रति ज्यादा सजग हो चुके हैं. इसी सजगता के चलते आप और हम अन्य चीजों के साथ-साथ सरीसृपों को भी देख रहे हैं. इसके अलावा साँपों के दिखाई देने के जो कारण हैं वो इस प्रकार से हैं :
मार्च और अप्रैल माह में गेहूं की फसल पक जाती है और उसे काटा जाता है. पकी हुई फसल को खाने के लिए चूहों की संख्या बढ़ने लगती है और साथ ही साथ इनकी संख्या को नियंत्रण में रखने के लिए साँपों की संख्या भी बढ़ने लगती है. सामान्य विज्ञान में इसे हम भोजन श्रंखला के रूप मे जानते हैं. चूहे सांपों के मुख्य आहार में से एक होते हैं और इनकी संख्या बढ़ने पर धामन (Rat Snake) जैसे सांपों की संख्या भी बढ़ने लगती है. साँपों की यह प्रजाति भारी संख्या में चूहे खाकर इनकी संख्या को नियंत्रित करती है. इस कारण से न सिर्फ फसल को कम नुकसान होता है साथ ही साथ यह प्लेग जैसी महामारी का भी नियंत्रण होत है जो कि कोरोना की तरह ही एक खतरनाक संक्रामक रोग है.
पर्याप्त खाना मिलने के साथ-साथ लॉकडाउन के चलते लोगों द्वारा चहल-पहल कम हो रही है और अन्य जानवरों के साथ साथ सरीसृपों को एकांत मिल रहा है. इस कारण आप दो सांपों को खुले खेतों मे प्रजनन करते हुए भी पा जाएंगे और यह भी एक अति सामान्य घटना है. ऐसे में सांपों की निजता और उनके सामान्य व्यवहार को प्रभावित न करते हुए उन्हें अकेला छोड़ देना ही सबसे अच्छा उपाय है. (Snakes During Lockdown)
सभी सांप जहरीले नहीं होते, सांपों की कुछ प्रजातियों को छोड़ दें तो अधिकांश सांप विषहीन होते हैं और यह स्वस्थ पारिस्थितिकी, मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक होते हैं. खेतों के आसपास भी अधिकांश साँप विषहीन ही होते हैं. पिथौरागढ़ और मध्य हिमलयी क्षेत्रों में अधिकांशतः Rat Snake यानी धामन, हिमालयन त्रिंकेट, बफ स्ट्रिपिड कीलबैक जैसे विषहीन सांप पाए जाते हैं. हाँ, कुछ स्थानों में वो भी अधिकांशतः घाटी और अधिक गर्म क्षेत्रों में कोबरा, वाइपर और करैत जैसे विषैले सांप भी पाए जाते हैं. सांपों की इन विषैली और विषहीन प्रजातियों की सही जांच सरीसृप विज्ञानियों द्वारा ही संभव है. ध्यान दे, सांपों को बिना जानकारी और आधिकारिक अनुमति के पकड़ने की कोशिश करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि साथ ही साथ इससे आपकी जान भी जा सकती है. विगत कुछ वर्षों में पिथौरागढ़ और भारतवर्ष के कई हिस्सों में लोगों की जान इसी कारण से गई है.
विषैले सांप भी छेड़े जाने या अपने बचाव के लिए ही किसी मनुष्य या अन्य जीव को काटते हैं. याद रखें, मनुष्य साँपो का भोजन नहीं है, इसीलिए वह कभी भी आपका पीछा नहीं करेंगे और न ही आपको काट खाएंगे. आपने देखा होगा वह हमेशा ही आपको देख कर भाग खड़े होते है. सांप एक शर्मिला जीव है और यदि सांपों को न छेड़ा जाए तो वह खुद-ब-खुद दुबक जाते हैं.
जैसा कि बताया जा चुका है, साँप खेतों में ही रहते हैं और चूहों की संख्या पर नियंत्रण रखते हैं और इसी कारण से इन्हें किसानों का मित्र भी कहा जाता है. आप बस उन्हें अकेला छोड़ दें, खेत सांपों का घर हैं. आप ये भी समझिए कि हम सभी ने उन साँपो के घरों के ऊपर अपने घर बना डाले हैं, जहां पर वे साँप कई सालों से रह रहे थे. समान्य परिस्थितियों मे खेतों से सांप को रेस्क्यू – यानी पकड़ा भी नहीं जाता है. इंसानी घरों के अंदर घुस जाने की दशा में ही सांप को बाहर निकाल उसे वापस उसके पर्यावास यानी कि उसके घर के पास छोड़ा जाता है.
यहां एक बात और समझने की है, वह यह कि कई जीवों की तरह सांपों का अपना सीमित दायरा यानी इलाका होता है, जहां विचरते हैं और दो साँप एक दूसरे के इलाकों से दूर रहते हैं. ऐसे में यदि आप के खेतों में कोई विषविहीन सांप रहता है और उसे वहां से हटा दिया जाए तो खाली हुई जगह को भरने के लिए कुछ समय बाद एक विषैला सांप भी आ सकता है.
इसे ऐसे समझे कि अभी तक एक विषहीन साँप आपका पड़ोसी था और उसके जाने के बाद ये संभव है कि एक विषैला सांप आपका नया पड़ोसी बन कर आ जाये. ऐसे में कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखकर हम सभी प्रकार के सांपों को अपने घरों से दूर रख सकते हैं. (Snakes During Lockdown)
यह एक जरूरी प्रश्न है और लॉकडाउन के खाली समय का प्रयोग करते हूए लोगों ने अपने घरो से सांपों को दूर रखने के लिए निम्न उपायों को करना चाहिए :
घरों के पास ईटों के टुकड़े, पत्थर, झाड़ियां, कूड़ा करकट, पाइप के टुकड़े आदि इकट्ठा न होने दें यह चूहों को छुपने और अपना घर बनाने की जगह देता है और उनके पीछे सांप भी चले आते हैं. अपने घरों को चूहों से मुक्त रखें. यदि संभव हो तो घरों में जानवर जैसे बिल्ली या कुत्ता पालें. इन जीवो के होने पर चूहे पास नहीं आते और चूहों के ना होने पर सांपों के घरों में अंदर आने की संभावना कम हो जाती है.
ऐसी स्थिति में सांप को अकेला छोड़ दें, कुछ दूरी से उस पर नजर बनाए रखें और तुरंत ही नजदीकी वन विभाग की टीम को फोन करें. सांप के ऊपर तेल छिड़कना, उसे पकड़ने की कोशिश करना आपके और साँप दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. (Snakes During Lockdown)
अधिकांश सांपों के काटे जाने से मृत्यु नहीं होती क्योंकि वे विषविहीन होते हैं. विषैले सांप भी अधिकतर ड्राई बाईट (Dry bite) ही करते हैं, इसका अर्थ है कि काटने के अधिकांश मामलों में वे अपने विष का प्रयोग नहीं करते. सांप के काटे जाने पर निम्न बातों का पालन किया जाना चाहिए :
मरीज को शांत करें और उसे डराये नहीं. मरीज को चलाएं नहीं. काटे गए शरीर के हिस्से को लकड़ी की खपर्ची और पट्टी से बांध कर स्थिर करें. संभव हो तो सांप के फोटो या विडियो बना ले, इससे साँप और उसके विष के प्रकार के बारे मे पता होने से उपचार करने मे सहायता मिलती है. 108 सेवा या अपनी गाड़ी में बैठा कर जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल में ले जाएं.
घाव पर किसी भी धारदार चीज से न ही काटे न ही उसे जलाने या मुंह से चूसने का प्रयास करें. शरीर के जिस भाग में काटा गया है उसके ऊपर या नीचे पट्टी न बांधे. झाड़-फूंक के चक्कर से दूर रहें और तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक मरीज को पहुंचाएं.
हमें अपनी समझदारी का परिचय देते हुए सांपों के साथ रहना सीखना होगा. हमको समझना होगा कि इस पृथ्वी में रहने का जितना अधिकार हमारा है उतना ही अन्य जीवो और सांपों का भी है. कुछ सावधानियों को अपनाने और सांपों के महत्व को समझते हुए हम सहजीवन की स्थिति को पा सकते हैं. (Snakes During Lockdown)
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पिथौरागढ़ के रहने वाले मनु डफाली पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हरेला सोसायटी के संस्थापक सदस्य हैं. वर्तमान में मनु फ्रीलान्स कंसलटेंट – कन्सेर्वेसन एंड लाइवलीहुड प्रोग्राम्स, स्पीकर कम मेंटर के रूप में विश्व की के विभिन्न पर्यावरण संस्थाओं से जुड़े हैं.
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