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उत्तराखण्ड के शुभम की कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल शुभयात्रा

शुभम धर्मशक्तू एक युवा यायावर है जो कश्मीर से कन्याकुमारी की 4000 किमी. से ज़्यादा लम्बी पैदल यात्रा पर निकल पड़ा है. 25 साल के शुभम सस्टैनेबिलिटी, प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन, प्लास्टिक निषेध, खाने की बर्बादी और पर्यटन जैसे कई संदेशों को लेकर श्रीनगर से निकल पड़े हैं.

खुद के बारे में बताते हुए शुभम कहते हैं, “मैं जोहार घाटी उत्तराखंड का एक जनजातीय लड़का हूँ. स्कूल के दिनों से ही मेरी रुचि नई-नई जगहों को ढूँढने,खोजने और महसूस करने में रही. कॉलेज पहुँचा तो इस जादुई दुनियां को और करीब से देखने की ललक बढ़ गई. जब मेरे बाकि साथी महंगी गाड़िया खरीद रहें थे तब मैंने एक साइकिल खरीदी और फिर एक रात दो बजे मैं कॉलेज(अहमदाबाद) से निकल पड़ा. और 55 दिनों बाद कन्याकुमारी पहुँच गया. बस यहीं से मेरे घुमंतू जीवन की शुरुआत हुई.”

इसके बाद 2015 में शुभम ने 105 दिनों में 6000 किमी. की साइकिल यात्रा से पूरी हिमालय शृंखला को अकेले नाप लिया. ऐसा करने वाले पहले इंसान हैं. इस दौरान वो अरुणांचल प्रदेश, आसाम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, भूटान, सिक्किम, नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से गुजरें.

शुभम अक्सर यात्रा में रहते हैं और अपने जीने के तरीके को ट्रेलिविंग ( traveliving ) कहकर बुलाते हैं. अब शुभम ने साइकिल छोड़ पैदल सफ़र को चुना है क्यूंकि वो खुद को बड़ी चुनौती देना चाहतें हैं और उनका मानना है कि इस तरीके से ज़्यादा लोगों से जुड़ा जा सकता है और बेहतर संवाद किया जा सकता है.

शुभम की यात्रा का मानचित्र

सफ़र शुरुआत से ही काफ़ी कठिन है. हांलाकि तमाम मुश्किलों, बर्फीले मौसम और पैर के छालों के बावज़ूद शुभम लगातार आगे बढ़ रहें हैं और एक दिन में 25 से 30 किमी. तय कर रहे हैं. जम्मू कश्मीर में शुभम को काफ़ी सहयोग समर्थन मिल रहा है. हाईवे पर उनको पैदल चलता देख कोई गाड़ी रोक देता है तो कोई बड़े प्यार से सेब, अखरोट आगे कर देता हैं. शुभम इन नेमतों तो जेबों में भर कर आगे बढ़ जाते हैं. वो लिफ्ट और प्लास्टिक के थैलों को मना कर देते हैं. जब कोई उन्हें चाय पर बुलाता है तो शुभम मना नहीं करते. रात के आसरे के लिए भी वो स्थानीय लोगों के साथ को ही तरजीह देते हैं.

एन.आई.डी. ( NID ) अहमदाबाद से पास आउट शुभम टेड-एक्स ( TEDx ) स्पीकर भी रहे हैं और अपने अभियान के ज़रिये शुभम सबको ये प्रेरणा भी देना चाहते हैं कि अपने सपनों पर यकीन करो और लगातार उनको सच करने की दिशा में मेहनत करो. वक्त आने पर बेहतर मुक़ाम मिलेगा. ज़िन्दगी एक यात्रा है जिसमें सफ़र मंजिल से ज़्यादा ख़ूबसूरत है.

शुभम अपनी यात्रा के दौरान चंडीगढ़, दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, और बंगलौर जैसे प्रमुख शहरों से होकर कन्याकुमारी पहुचेंगे. शुभम को उम्मीद है कि रास्तें में ढेर सारी मुश्किलें, अनगिनत यादें और ताउम्र याद रहने वाले कई किस्से उनके इंतज़ार में खड़े हैं.

शुभम अपनी इस यात्रा को ख़ुद डॉक्यूमेंट भी कर रहें हैं, उनके फेसबुक और इन्स्टाग्राम अकाउंट शुभयात्रा ( shubyatra ) पर उनसे जुड़ा जा सकता हैं. शुभयात्रा शुभम के स्टार्ट-अप का नाम भी है. शुभम की कुछ तस्वीरें.

एंकरिंग, कविता, फोटोग्राफी और थिएटर का शौक रखने वाले नीरज सिंह पाँगती अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. वर्तमान में पी.जी. कॉलेज बागेश्वर में अंग्रेज़ी के अस्थाई प्रवक्ता हैं.

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Girish Lohani

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  • शुभम को सुखद यात्रा के लिए दिल से शुभकामनाएं।

  • भाई शुभम धर्मशक्तु को #शुभयात्रा# की हार्दिक शुभकामनायें ।।।। *जयबद्रीविशाल*

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