एक पहाड़ी गांव में एक आदमी रहता था. अपने घर की छत की मरम्मत के लिये उसने एक दूसरे गांव के पधान से 300 रूपये उधार लिये थे. जब कुछ महीनों बाद भी आदमी उधार न चुका पाया तो पधान उस आदमी के पास गया और अपने पैसे मांगने लगा. इसपर आदमी बोला- मेरे पास तो देने को फूटी कौड़ी तक नहीं है. यह मेरा पहाड़ी कुत्ता है, खूब वफादार है आप इसे ही तीन साल के लिये अपनी सेवा रख लीजिए तब तक मैं आपका पैसा जमा कर लूँगा.
(Sagacious Dog Folktale Uttarakhand)
पहाड़ी कुत्ते अपनी वफ़ादारी और ताकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हुआ करते थे. पधान की खूब खेती थी खेत और घर की चौकीदारी के लिये पहाड़ी कुत्ता एक बेहतरीन विकल्प था सो उसे सौदा बुरा न लगा और कुत्ता अपने साथ लेकर चल दिया.
एक रात जब आदमी अपने घर से बाहर था तो चोरों ने उसके घर सेंध लगा दी. कुत्ता खूब भौंका लेकिन पधान के घर में कोई भी न जगा. चोरों ने पधान के भीतर जाकर सारा माल उड़ा लिया और जंगल की ओर चल दिये. चोरों ने पास के जंगल में जाकर एक गड्ढा खोदा और सारा कीमती माल उसके भीतर डालकर उसे ढक दिया. देर तक भौंकने के बावजूद कुत्ता कुछ न कर सका तो उसने चुपके-चुपके चोरों का पीछा किया और चोरों का सारा काम देख लिया.
(Sagacious Dog Folktale Uttarakhand)
अगली सुबह जब पधान घर आया तो सिर पीटने लगा तभी कुत्ता बार-बार उसके चारों ओर घुमकर उसे खींचने लगा. पधान को बात समझ न आई सिर पीटता हुआ कुत्ते के पीछे हो लिया. कुछा पधान को जंगल में ले गया और उस जगह पर पैरों से मिट्टी हटाने लगा जहां गड्ढा कर चोरों ने माल डाला था. पधान कुछ-कुछ बात समझने लगा.
पधान ने तुरंत वहां खुदाई करना शुरु किया कुछ गहराई में उसे अपना सारा कीमती सामान मिल गया. पधान को कुत्ते पर खूब लाड़ आया. पधान कुत्ते की बुद्धिमत्ता से बड़ा खुश हुआ. उसने एक चिट्ठी लिखी. अपनी चिट्ठी में पधान ने सारी घटना लिख दी और लिखा कि उसके कुत्ते की चतुर बुद्धि ने उसका सारा कर्ज मांफ कर दिया है. पाधन ने कुत्ते के गले में डालकर उसे उसके पुराने मालिक के घर के रास्ते लगा दिया.
आदमी ने जब अपने घर से देखा की उसका कुत्ता घर वापस आ रहा है तो उसे बड़ा गुस्सा आया. उसे लगा कि उसका कुत्ता भागकर आया है जिससे उसका वचन टूट गया है. अपने घर से कुछ दूरी पर उस आदमी ने कुत्ते के सिर पर एक बड़ा पत्थर मार दिया कुत्ता वहीं चित्त रहा. आदमी उसके पास गया तो उसने देखा कुत्ते के गले में एक चिट्ठी है. खून लगी चिठ्ठी खोलकर जब उसने पढ़ी तो उसे बहुत दुःख हुआ ऐसा दुःख जो उसकी मृत्यु तक उसके साथ रहा.
(Sagacious Dog Folktale Uttarakhand)
यह कथा ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ के आधार पर है. इस पुस्तक में इन लोक कथाओं को अलग-अलग खण्डों में बांटा गया है. प्रारम्भिक खंड में ऐतिहासिक नायकों की कथाएँ हैं जबकि दूसरा खंड उपदेश-कथाओं का है. तीसरे और चौथे खण्डों में क्रमशः पशुओं व पक्षियों की कहानियां हैं जबकि अंतिम खण्डों में भूत-प्रेत कथाएँ हैं.
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