अनेक शताब्दियों से कुमाऊँ की नेपाल और तिब्बत सीमा से लगी इस धारचूला तहसील की व्यांस, चौंदास और दारमा घाटियों में रं समाज की बसासत है. परम्परागत रूप से व्यापार करने वाला यह समाज हमारे इलाके के सबसे संपन्न समुदायों में गिना जाता रहा है.
(Rung Community Dharchula Uttarakhand)
संसार में बहुत कम समाज ऐसे बच रहे हैं जिनमें अपनी अच्छी परम्पराओं की शालीनता को सम्मानपूर्वक बनाये-बचाए रखने का आग्रह हो, जिनमें बड़ों की बात सुनी और मानी जाती हो. यह समाज उनमें से एक है. कुमाऊँ में इस समाज की सांस्कृतिक और सांगठनिक एकता की मिसालें दी जाती हैं.
हाल के समय में मध्यवर्गीय शादियों के समारोह सम्पन्नता के अश्लील प्रदर्शन के अनुष्ठानों में बदल गए हैं. लगता है जैसे दुनिया में फैली अमीर और गरीब के बीच की आर्थिक विषमता को उघाड़ देने की प्रतिस्पर्धा चल रही हो.
होना तो यह चाहिए था कि पढ़-लिख जाने और आधुनिकता से परिचित हो चुकने के बाद लड़के-लड़कियां न सिर्फ अपनी पसंद से ब्याह करते बल्कि पुरानी, दिखावटी चीज़ों को धता बता कर आने वाली नस्लों के लिए नजीर पैदा करते. अपवादों को छोड़ दें तो इसका ठीक उलटा हुआ है. दुनिया भर की फिजूल चीज़ें इस पवित्र अनुष्ठान पर लादी जा चुकी हैं.
हम खानदान, समाज और समुदाय जैसी धारणाओं पर पर गर्व करने वाले लोग हैं. जब-जब इन पर संकट आता है अगली पीढ़ी पुरानी को और पुरानी अगली को कोसने लगती है. खानदान, समाज और समुदाय जैसे शब्द और भी खोखले और बौने होते जाते हैं.
(Rung Community Dharchula Uttarakhand)
इन बदलावों से रं समाज अछूता नहीं रहा होगा. इस समाज के भीतर पहले से भी अधिक सम्पन्नता आई है और ज़ाहिर है उसमें भी इस तरह की विसंगतियों का प्रवेश हुआ होगा.
कुछ ही दिन पहले इस समाज की एक प्रतिनिधि संस्था द्वारा सभी घाटियों में होने वाली शादियों में आधुनिकता के नाम पर आ रही बुराइयों और फिजूलखर्ची को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों में से कुछ को को गौर से देखिये:
1. समारोहों में न डीजे बजेगा न शराब परोसी जाएगी.
2. शगुन की रकम एक रुपया तय की गई है.
3. बारातियों का मुंह टॉफ़ी से मीठा किया जाएगा.
4. बारात के लिए रास्ते में न जनवासे का बंदोबस्त होगा न शराब का.
उल्लेखनीय है कि इस समाज में दहेज़ प्रथा का पहले से ही कोई अस्तित्व नहीं है. इन नए नियमों के माध्यम से निर्धन और धनवान, दोनों ही एक ही तरह से शादियाँ करा सकेंगे. यही इस संस्था की मंशा भी है.
नियमों का उल्लंघन करने वाले पर आर्थिक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. परसों यानी 17 जनवरी से ये नियम लागू भी कर दिए गए हैं.
(Rung Community Dharchula Uttarakhand)
–अशोक पांडे
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