हैडलाइन्स

राफ्टिंग के लिये ऋषिकेश के अलावा और भी बहुत जगहें हैं उत्तराखंड में

उत्तराखंड में जब कभी रिवर राफ्टिंग की बात आती है तो अधिकांश लोग ऋषिकेश तक सीमित हो जाते हैं. पिछले कुछ सालों में ऋषिकेश रिवर राफ्टिंग के लिये पूरे उत्तर भारत में अपना नाम कमा चुका है.

रोमांच से भरा रिवर राफ्टिंग का यह साहसिक खेल उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों में भी खेला जाता है. उत्तराखंड में जहां भी रिवर राफ्टिंग होती है उन्हें यदि कठिनाई के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाये तो ऋषिकेश सबसे आसान राफ्टिंग स्ट्रेच में गिना जाता है.

गंगा के अलावा भी काली, यमुना, धौलीगंगा आदि में फैले कई चुनौतीपूर्ण रेपिड्स हैं. उत्तराखंड में रिवर राफ्टिंग के लिये सबसे अच्छा समय 1 सितम्बर से 30 जून तक है. आज जानिये उत्तराखंड में रिवर राफ्टिंग के लिए कुछ सबसे शानदार रेपिड्स.

गंगा

उत्तराखंड में सर्वाधिक रिवर राफ्टिंग गंगा नदी में होती है. गंगा नदी में कोडियाला से ऋषिकेश में राम झूला के बीच तक 36 किमी का स्ट्रेच है जिसमें रिवर राफ्टिंग की जाती है. इसमें सबसे आसान से लेकर सबसे कठिन तक के स्ट्रेच मौजूद हैं. राफ्टिंग के लिए इसमें सबसे अच्छा समय अक्टूबर अंत से मार्च के बीच का है.

यमुना

यमुना नदी में राफ्टिंग के लिए 20 किमी का स्ट्रेच है. हिमालय की घाटियों के बीच का यह राफ्ट रोमांच से भरा हुआ है. यह स्ट्रेच नैनबाग से जुडो के बीच है.

टोंस

गढ़वाल हिमालय में सबसे रोमांचक और सबसे कठिन राफ्टिंग टोंस नदी में की जाती है. यहां मोरी और तुनी के बीच राफ्टिंग की जाती है. यह लगभग 30 किमी लम्बा है. अक्टूबर से नवम्बर के बीच का समय टोंस में राफ्टिंग के लिये सबसे अच्छा समय है.

काली और शारदा

कुमाऊं में काली और शारदा नदियां राफ्टिंग के लिए सबसे शानदार हैं. बलावाकोट, जौलजीवी, पंचेश्वर, टनकपुर होता हुआ यह 95 किमी का स्ट्रेच है. काली नदी के राफ्टिंग स्ट्रेच उत्तराखंड के सबसे कठिन राफ्टिंग स्ट्रेच में गिने जाते हैं. यहां राफ्टिंग केवल प्रोफेशनल लोगों द्वारा ही की जाती है. इसमें राफ्टिंग का सबसे अच्छा मौसम मार्च से जून और सितम्बर से दिसम्बर के बीच का है.

फोटो : उमेश पुजारी के फेसबुक वाल से साभार

गोरी गंगा

गोरी गंगा काली नदी की सहायक नदी है. गोरी नदी में बरम से जौलजीबी तक आठ किमी का स्ट्रेच है.

कोसी

कुमाऊं मंडल में दिल्ली से सबसे नजदीक राफ्टिंग स्ट्रेच कोसी नदी का है. कोसी में दो राफ्टिंग स्ट्रेच हैं पहला खैरना और मोहन के बीच दूसरा कुमरिया और रामनगर के बीच. खैरना से मोहन तक यह स्ट्रेच 40 किमी लम्बा है जबकि कुमरिया से रामनगर तक यह स्ट्रेच 25 किमी लम्बा है. यह सबसे आसान स्ट्रेच में गिना जाने वाला एक राफ्टिंग स्ट्रेच है.

सरयू

सरयू नदी में राफ्टिंग स्ट्रेच को दो भागों में बांटा जा सकता है. एक बागेश्वर से रामेश्वर तक दूसरा रामेश्वर से पंचेश्वर तक. बागेश्वर से रामेश्वर तक सरयू पतली घाटी में बहती है जिसे कारण इस घाटी में राफ्टिंग का रोमांच दोगुना हो जाता है. 70 किमी के इस राफ्टिंग स्ट्रेच में केवल कुशल राफ्टर ही जाते हैं. रामेश्वर और पंचेश्वर के बीच 25 किमी लम्बा राफ्टिंग स्ट्रेच है.

पूर्वी रामगंगा

थल, नाचनी से होता हुआ रामेश्वर तक का पूर्वी रामगंगा का यह राफ्टिंग स्ट्रेच में खासा रोमांचकारी है. इसकी लम्बाई 80 किमी तक है.

पश्चिमी रामगंगा

90 किमी लम्बा यह राफ्टिंग स्ट्रेच चौखुटिया, भिकियासैण होता हुआ मरचूला तक है. यह राफ्टिंग स्ट्रेच भी काफ़ी रोमांचक चुनौतियों से भरा हुआ है.

-काफल ट्री डेस्क

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

6 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

6 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

1 week ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago