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1 Comments

  1. दीपक

    बहुत फिल्में देखी हैं यहाँ एक ज़माने में। मैं 1992 – 94 में राजकीय इण्टरमीडिएट कॉलेज छात्रावास में रहता था। कॉलेज या हॉस्टल से भागकर रीगल या जागनाथ सिनेमा जाया जाता था। अक्सर डांट और मार भी खाई इस चक्कर में, लेकिन मूवी तै देखनी ही रहती थीं सो देखते थे। रीगल बिल्डिंग में तो एक रेस्तरां भी था जिसके मालिक के बेटे जग्गू भाई से ठीकठाक दोस्ती थी हम लोगों की।

    दुखद है इस शानदार इमारत को इस खण्डहर रूप में देखना। जागनाथ भी सुनते हैं बन्द हो चुका है।
    खैर परिवर्तन ही नियम है। एक दिन सब खत्म हो ही जाता है नये को जन्म देने के लिये।

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