कुमाऊ के प्रवेशद्वार हल्द्वानी में विगत 137 वर्षों से लगातार मंचित होती आ रही दिन की रामलीला का शुभारंभ हो चुका है. यह कुमाऊ की एकमात्र दिन की पहली रामलीला भी है. जो कि 130 वर्षों से ज्यादा से चली आ रही है. यह राममिलन श्राद्ध पक्ष के दौरान शुरू होती है व दशहरे के दिन इसका समापन होता है. यह रामलीला व्यासपीठ के द्वारा संचालित की जाती है जिसका सञ्चालन पिछले कई वर्षों से गोपाल भट्ट शास्त्री कर रहे हैं.
आज भी इस रामलीला को देखने के लिए लोग दूर-दूर से हल्दवानी आते हैं. इस रामलीला का मंचन दिन में शुरू होता है और शाम को समाप्त हो जाता है.
इस साल रामलीला की व्यवस्था हल्दवानी के सिटी मजिस्ट्रेट देख रहे हैं. उनके द्वारा संचालित कमेटी रामलीला का मंचन करा रही है इस रामलीला की खासियत की बात करें तो लोग यहां होने वाली आतिशबाजी और पुतला दहन कार्यक्रम को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
रामलीला में ग्रीन रूम का प्रभार संभाल रहे राजेंद्र सिंह बिष्ट बताते हैं कि लगभग 12 वर्ष की आयु से वह रामलीला से जुड़े हैं. 37 साल से इस रामलीला से जुड़े राजेंद्र सिंह बिष्ट ‘बबली’ बताते हैं कि उनकी अगली पीढ़ी भी इस रामलीला से जुड़ी हुई है. उनके दोनों पुत्र रामलीला में अलग-अलग पात्रों की भूमिका में अभिनय कर रहे हैं.
लगभग 40 वर्षों से व्यासपीठ की देखरेख कर रहे गोपाल दास शास्त्री बताते हैं कि एक दौर में हल्दवानी की दिन की रामलीला को देखने के लिए लोग सितारगंज, नानकमत्ता, रामनगर, नैनीताल से बैलगाड़ी से आते थे और रामलीला मंचन के दौरान यहीं पड़ाव डालकर रहा करते थे.
वर्तमान में विभिन्न वजहों से रामलीला के पात्रों के अभिनय में लोगों रुचि कम हो रही है यह काफी दुख की बात है. आने वाले समय में रामलीला को अपने अस्तित्व के लिए काफी संघर्ष करना पड़ सकता है.
हल्द्वानी के बैंककर्मी विनोद प्रसाद लम्बे समय तक कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर काम कर चुके हैं.
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