Featured

कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार,

कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार, जिसकी तमन्ना मे फिरता हूँ बेकरार

कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार, जिसकी तमन्ना मे फिरता हूँ बेकरार

दूर ज़ुल्फों की छाँव से, कहता हूँ ये हवाओं से

उसी बुत की अदाओं के, अफ़साने हज़ार

वो जो बाहों मे मचल जाती, हसरत ही निकल जाती

मेरी दुनिया बदल जाती, मिल जाता करार

कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार, जिसकी तमन्ना मे फिरता हूँ बेकरार

अरमा है कोई पास आए, इन हाथों मे वो हाथ आए

फिर ख्वाबों की घटा छाये, बरसाए खुमार

फिर उन्ही दिन रातों पे, मतवाली मुलाक़ातों पे

उलफत भरी बातों पे, हम होते निसार

कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार, जिसकी तमन्ना मे फिरता हूँ बेकरार…

हरे-भरे देवदारु वृक्षों की श्रृंखला, खूबसूरत वादी, घाटी में उड़ते बादल, कतारबद्ध कंटूरनुमा खेत, लकदक फैली हुई बर्फ…

इन सबके बीच एक नौजवान अपने मन में पल रहे अरमानों को जाहिर करता है. यह रमणीय वातावरण उसे और ज्यादा रोमानी कर देता है. वह एकांत में अपने विशेष भावों का प्रस्फुटन करता है. उसकी उम्र का तकाजा जो कहता है, वह उसी तरह की संभावनाओं की तलाश करता है. यह प्रेम में होने के लिए तैयार होने की अवस्था कही जा सकती है.

पहाड़ी ढ़लवाँ छत का मकान, इमारत में काष्ठ का प्रचुर प्रयोग, दृश्य को और खूबसूरत बना देता है.

फूलों के पीछे से झाँकती नायिका और उसका इठलाकर बर्फ पर नंगे पांव चलना, देखकर नायक की संभावनाओं की तलाश पूरी होती हुई सी लगती है.

आर डी बर्मन की धुन पर मुकेश ने यह गीत इतनी खूबसूरती से गाया कि गीत को लोगों की जुबान पर चढ़ते ज्यादा देर नहीं लगी.

वैसे पंचम ने यह आईकॉनिक धुन, हर्ब एल्पर्ट की ‘द लोनली बुल’ से उठाई थी. द लोनली बुल के कई भाषाओं में कई रूपांतर मिलते हैं. मजे की बात ये है कि उसका हर रुपांतर हिट साबित हुआ.

पंचम ने मजरूह के बोलों को एक अद्भुत कौशल से संगति दी, जिससे यह एक ओरिजिनल सी मेलोडी लगती है. इतने बरस बीत जाने के बाद भी श्रोताओं में इस गीत को सुनने की चाह बरकरार दिखती है.

उत्तराखण्ड सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत ललित मोहन रयाल का लेखन अपनी चुटीली भाषा और पैनी निगाह के लिए जाना जाता है. 2018 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘खड़कमाफी की स्मृतियों से’ को आलोचकों और पाठकों की खासी सराहना मिली. उनकी दूसरी पुस्तक ‘अथ श्री प्रयाग कथा’ 2019 में छप कर आई है. यह उनके इलाहाबाद के दिनों के संस्मरणों का संग्रह है. उनकी एक अन्य पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य हैं. काफल ट्री के नियमित सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

13 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

15 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

16 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

1 day ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

3 days ago