बरसता हुआ पानी
बहता है
जीवित और मृत मनृष्यों के बीच
बारिश
एक तरह की रात है
एक सुदूर और बाहरी चीज़
इतने लंबे समय के बाद
भी
शरीर से ज़्यादा
दिमाग़ भीगता है
कई बार
घर-बाहर एक होने लगता है!
बड़े जानवर
खड़े-खड़े भींगते हैं देर तक
आषाढ़ में
आसमान के नीचे
आदिम दिनों का कंपन
जगाते हैं
बारिश की आवाज़ में
शामिल है मेरी भी आवाज़!
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