Alok Dhanwa

एक दुनिया जो रोज़ बनती है उसके कवि का जन्मदिन है आज

अब जब कविता के रूप, उसके प्रतिपाद्य, उसकी भाषा से ज़्यादा उसके होने, न होने पर ही चौतरफा हमले हैं,…

5 years ago

बारिश एक राह है स्त्री तक जाने की

बारिश -आलोक धन्वा बारिश एक राह है स्त्री तक जाने की बरसता हुआ पानी बहता है जीवित और मृत मनृष्यों…

6 years ago

आलोक धन्वा – जिसकी दुनिया रोज़ बनती है!

आलोक धन्वा - जिसकी दुनिया रोज़ बनती है -शिरीष मौर्य हर उस आदमी की एक नहीं कई प्रिय पुस्तकें होती…

6 years ago

प्रकट सुंदरता के भीतर कितने जलजले – आलोक धन्वा की कविता – 2

(पिछली कड़ी से आगे) अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी आलोक धन्वा क्या…

6 years ago

प्रकट सुंदरता के भीतर कितने जलजले – आलोक धन्वा की कविता – 1

अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी अगर हिंदी कविता में इधर सबसे बेचैन…

6 years ago

कोयल उस ऋतु को बचा रही है

चेन्नई में कोयल -आलोक धन्वा चेन्नई में कोयल बोल रही है जबकि मई का महीना आया हुआ है समुद्र के…

6 years ago

भारतवासी होने का सौभाग्य तो आम से भी बनता है

आम के बाग़ -आलोक धन्वा आम के फले हुए पेड़ों के बाग़ में कब जाऊँगा? मुझे पता है कि अवध,…

6 years ago

कितनी-कितनी लड़कियां भागती हैं मन ही मन

भागी हुई लड़कियां  -आलोक धन्वा एक घर की जंजीरें कितना ज्यादा दिखाई पड़ती हैं जब घर से कोई लड़की भागती…

6 years ago

बच्चे बहुत दिनों तक जीवित रह सकते हैं अगर आप उन्हें मारना बंद कर दें

पतंग - आलोक धन्वा 1. उनके रक्तों से ही फूटते हैं पतंग के धागे और हवा की विशाल धाराओं तक…

6 years ago

हत्याएँ और आत्महत्याएँ एक जैसी रख दी गयी हैं इस आधे अँधेरे समय में

फ़र्क़ -आलोक धन्वा  देखना एक दिन मैं भी उसी तरह शाम में कुछ देर के लिए घूमने निकलूंगा और वापस…

6 years ago