भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी43) ने 29 नवम्बर हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 31 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया.
पीएसएलवी-सी43 ने प्रथम प्रक्षेपण स्थल से भारतीय समय के अनुसार 9:57:30 बजे उड़ान भरी. उड़ान भरने के 17 मिनट, 19 सैकेंड के बाद इसने भारत के हाईपर-स्पै9क्ट्रसल इमेजिंग उपग्रह (हाईसिस) को 645 किलोमीटर के सन-सिंक्रोनस ध्रुवीय कक्ष में स्थारपित कर दिया. इसके बाद, यान के चौथे चरण वाले इंजनों को दोबारा स्टा र्ट करके 30 विदेशी उपग्रहों को उनके मनोनुकूल कक्ष में स्था पित किया गया. उड़ान भरने से लेकर एक घंटा, 49 मिनट के बाद अंतिम उपग्रह को इसके निर्धारित कक्ष में स्थांपित किया गया.
इनके पृथक होने के बाद एचवाईएसआईएस के दोनों सौर श्रृंखलाएं स्वात: क्रियाशील हो गईं और बेंगलूरू स्थित इसरो के टेलीमेट्री ट्रेकिंग और कमांड नेटवर्क ने उपग्रह पर नियंत्रण कायम कर लिया. अगले कुछ दिनों में इस उपग्रह को अपने अंतिम संचालन विन्यांस में लाया जाएगा. एचवाईएसआईएस के परियोजना निदेशक सुरेश के. ने कहा कि प्रक्षेपण के बाद यह उपग्रह सामान्यम रूप से काम कर रहा है. इसरो 5 दिसम्बकर को अपने सबसे भारी उपग्रह जीएसएटी-11 का प्रक्षेपण करेगा.
एचवाईएसआईएस एक पृथ्वीे पर्यवेक्षण उपग्रह है. इसे इसरो के मिनी उपग्रह-2 के तर्ज पर बनाया गया है. इसका वजन लगभग 380 किलोग्राम है. उपग्रह का मिशन लाइफ पांच वर्ष है.
विद्युत चुम्ब8कीय स्पै क्ट्रपम के इन्फ्रा रेड और शॉर्टवेव इन्फ्राोरेड क्षेत्रों के निकट दोनों दृश्यामान क्षेत्रों में पृथ्वीै की सतह का अध्य्यन करना एचवाईएसआईएस का प्राथमिक लक्ष्यफ है. उपग्रह से प्राप्त् आंकड़े का इस्ते माल कृषि, वन, मृदा/भूगर्भीय पर्यावरण, समुद्रतटीय क्षेत्रों और अन्तेर्देशीय जल संसाधनों आदि सहित अनेक क्षेत्र में किया जाएगा. एचवाईएसआईएस के समूह में एक वृहद और 8 देशों के 29 लघु उपग्रह शामिल थे. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया (1), कनाडा (1), कोलंबिया (1), फिनलैंड (1), मलेशिया (1), नीदरलैंड्स (1), स्पेन (1) और अमरीका (23) शामिल हैं. इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 261.50 किलोग्राम था. पीएसएलवी की मदद से ऑस्ट्रेललिया, कोलंबिया, मलेशिया और स्पे न के उपग्रहों को पहली बार प्रक्षेपित किया गया.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…