समाज

पंचेश्वर घाटी की ख़ुशनुमा तस्वीरों को देखेने के बाद आपका दिल इसे डुबो देने की गवाही नहीं देगा

गहरे हरे रंग के जंगलों के बीच एक नीले पानी वाली साफ नदी जाती है. लम्बी चलने वाली नदी और उसके साथ का जंगल मिलकर इंसान को उनके किनारे बसने की जगह देते हैं. नदी, जंगल और इंसान मिलकर दुनिया की सबसे सुंदर सभ्यता को रचते हैं. किताबों में इस सभ्यता को नाम दिया गया गांव और इसके लोगों को नाम मिला गंवार.
(Photos of Pancheshwar Valley)

विकास का फितूर पाले शहरियों के लिये वह हमेशा असभ्य और जाहिल रहे. खेतों में खेलना, बैलों को चराना, नदी से पानी भरना, घास काटना, पत्थर और मिट्टी के मकानों में रहना यह सब शहरियों के लिये पिछड़ेपन की निशानी है. शहरियों ने अपनी बिजली के उत्पादन के लिये नदी, जंगल और इंसान की बनाई ऐसी ही सुंदर सभ्यता को चुना है उनके कागजों पर दर्ज इसका नाम पंचेश्वर घाटी बाँध परियोजना है.

शहरियों के लिये पंचेश्वर घाटी बाँध परियोजना में एक डूब क्षेत्र है जहां कुछ गांव हैं, जहां कुछ लोग रहते हैं. उनके लिये यह महज एक घाटी है जिसमें कुछ जानवर और पक्षी के साथ कुछ इंसान रहते हैं. उनके दो चार देवता हैं और उन्हीं के कुछ मंदिर. सब कुछ कागजों पर दर्ज कर चुके शहरियों के लिये यह केवल एक आंकड़ा है जिसे उनकी बिजली के लिये डुबा दिया जाना है.
(Photos of Pancheshwar Valley)

साल 2016 में खींची गयी इन तस्वीरों को देखिये और तय कीजिये क्या आपका दिल इस सुंदर सभ्यता को डुबो देने की गवाही देता है. तय तो उनको भी करना चाहिये जो पिछली बार सरकारी मशनिरी के हरकत में आने के बाद गिद्ध की तरह पंचेश्वर घाटी के ऊपर उड़ रहे थे. क्या उन्होंने कभी मुड़कर गांव वालों की मूलभूत आवश्यकता की भी चिंता की?

फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली
फोटो: मनु डफाली

मनु डफाली

पिथौरागढ़ के रहने वाले मनु डफाली पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हरेला सोसायटी के संस्थापक सदस्य हैं. वर्तमान में मनु फ्रीलान्स कंसलटेंट – कन्सेर्वेसन एंड लाइवलीहुड प्रोग्राम्स, स्पीकर कम मेंटर के रूप में विश्व की के विभिन्न पर्यावरण संस्थाओं से जुड़े हैं.

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इसे भी पढ़ें: हिमालयी विकास मॉडल और उनसे जुड़ी आपदाएं

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