बताया जाता है कि पांडव जब स्वार्गारोहण को जा रहे थे तो इस स्थान पर लम्बे वक़्त के लिए रुक गए थे. पांडवो की माँ कुंती को ये जगह बहुत भा गयी थी, इस कारण बाद में इस जगह को कुटी के नाम से जाना गया. (Photos of Kuti Village)
आदि कैलाश से पहले पड़ने वाला ये भारत का अंतिम गाँव है जो लगभग 11500 फ़ीट की ऊंचाई पर है. करीब 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में यहाँ के लोगों ने अभी भी पुराने मकानों को अच्छे रखरखाव के साथ संजोया हुआ है.
घरों के खिड़की और दरवाजों पर की गयी कलाकारी मन मोह लेती है. इतनी ज्यादा ऊंचाई पर भी बड़े-बड़े सीधे मैदान देखना आश्चर्यजनक लगता है.
जाड़ों की भयानक सर्दियों में अत्यधिक बर्फ के कारण ज्यादातर लोग धारचूला या अन्य गरम जगहों में चले जाते है. कुछ लोग जो वही रहते हैं वो सूखा मीट और अन्य खाद्य साधनों के साथ अपना गुजारा करते हैं.
यहाँ के लोग बहुत मिलनसार होते है और यहाँ आने वाले यात्रियों का हृदय से स्वागत करते हैं. सबसे खास बात है कि ये लोग हमेशा अपने चेहरे में मुस्कान लिए रहते है, जिसे देखते हुए यात्री अपनी कठिन यात्रा की सारी थकान भूल जाते हैं. जिन कठिन परिस्थितियों में यहाँ के लोग खुशी-खुशी अपना जीवन यापन करते है, वो वाकई सीखने लायक है. (Photos of Kuti Village)
जून से सितंबर तक का समय यहाँ यात्रा करने के सबसे बढ़िया है. कुटी गांव और वहां के लोगों की कुछ तस्वीरें देखिये :
फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं.
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