पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अंतरकथा : जिंदगानी के सफर में, हम भी तेरे हमसफ़र हैं “दस ग्यारह साल की उम्र रही होगी तब से उस पहाड़ पर जाने की जिद करते थे. आपुँ.. हो, कुन्ना बाबू. खूब चंट हुए. डिमाग चलता आपुँ का, फटीग पड़ती हमारी. कैसा फंसाया थ... Read more